कंकाल साधना

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Kankal Sadhana :

कंकाल साधना मरे हुए मनुष्य के सम्पूर्ण कंकाल पर की जाती है और कंकाल जीबित मनुष्य की भांति स्वयं अपने कंकाली ढांचे से सब कार्य करता है । उसमें उसी कंकाल की अथबा कोई अन्य आत्मा आ जाती है ।

Kankal Sadhana Parichay :

कंकाल साधना, कपाल साधना, भूत साधना, प्रेत साधना और शब साधना ये थोडे से भेद के साथ एक ही प्रकार की साधनाएं हैं । इनमें शब, कपाल, कंकाल एक कोटि की और प्रेत तथा भूत दूसरी कोटि की साधनाएं हैं । इन सभी के द्वारा सामान्य से थोडा ऊपर की प्रेतात्माएं सिद्ध की जती हैं ।

Kankal Sadhana Phal :

कंकाल साधना से सांसारिक छोटे स्तर के काम, आश्चर्यजनक करतब, दूर संचार संदेश समाचार प्राप्ति, किसी को बुलाना, सामान्य रोगों की झाडफूंक, फल मिठाई या छोटे पदार्थ मंगाना, धन आदि प्राप्त करना तथा अपने शरीर ब घर की पहरेदारी आदि कंकाल सहजता से ही कर जाते हैं ।

Kankal Sadhana Sthal :

सामान्यतया कंकाल साधना प्रेतस्थलों, श्मशान, मरघट, निर्जन बन, प्राचीन खण्डहर, राजा की गददी सूनी पडी हो, मरूस्थल, सूने प्राचीन मैदान, सूखे पेड नदी के किनारे, प्राचीन तालाब या झील के किनारे, पर्बत पर समुद्र तट पर की जाए तो शीघ्र फल देने बाली होती है और सिद्ध होने की सम्भाबना भी अधिक बढ जाती है । यूं सिद्धि का पूरा दायित्व साधक के गुरू तथा स्वयं साधक पर निर्भर करता हैं ।

Kankal Sadhana Bidhan :

यह साधना सामान्यत: ३१ दिन में सिद्ध हो जाती है किन्तु तभी जब कंकाल हाल का हो यानी जिसका कंकाल हो उसे मरे अधिक समय न हुआ हो । यदि मरने बाला किसी के गर्भ में जा चुका हो अथबा जन्म ले लिया हो तो सिद्धि में काफी समय लग जाता है तब तीन से ५ महीने तक लग सकते हैं । अपने लिए चुने गए साधना स्थल को साफकर लीपकर तैयार कर ले फिर अमाबस्या सायंकाल को स्नान करके आसन के सामने कंकाल को बिछा दे । क्रम से चाहें पहले भी बिछा सकते हैं पैर दक्षिण को रखें स्वयं भी दक्षिणामुख बैठें ।

Kankal Sadhana Mantra :

मंत्र : “ॐ नमो: कंकालिनी ममहिताय कंकालमिदं साधय साधय सिद्धि कुरू ते नम: ॐ।।”

इसी मंत्र से पूजा और इसी का जप करना होता है ।

Kankal Sadhana Vidhi :

मण्डल बनाकर कंकाल के सिर से एक बालिश्त हटकर उस मण्डल में कंकालिनी की पूजा करें फिर कंकाल को स्नान कराकर उसकी पूजा करें । इसके बाद भोग लगाबें, दाल भात मदिरा का ।

फिर उक्त मंत्र का ३००० जप करें । यह क्रिया प्रतिदिन सायंकाल से आरम्भ कर अर्धरात्रि तक करें। जब तक कंकाल उठकर स्वयं दारू न पीले और बर न दे दे ।

After Kankal Sadhana :

साधना के पश्चात् कंकाल को गंगाजी में ले जाकर बिसर्जित कर दें । छोटा सा भी भाग छूटते न पाबे । इससे कंकालस्थ प्रेत को शांन्ति मिलती है और बह साधक की सहायता पूरे मन से करता रहता है ।

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Acharya Pradip Kumar is one of the best-known and renowned astrologers, known for his expertise in astrology and powerful tantra mantra remedies. His holistic approach and spiritual sadhana guide clients on journeys of self-discovery and empowerment, providing personalized support to find clarity and solutions to life's challenges.

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