ओघडनाथ बशीकरण तंत्र साधना

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Oghadnath Bashikaran Tantra Sadhna :

मंत्र : “ओम क्रं क्रां क्रीं क्रिं चामुण्डाय ॐ क्रं क्रं क्रं ठं ठं ठं लं…. मम बशीभूत कुरु कुरु फट् स्वाहा ।”

1st Oghadnath Bashikaran Tantra Upay :

चंद्रग्रहण के समय बिष्णुकांता की जड लाकर उसे उक्त मंत्र द्वारा 108 बार अभिमंत्रित करे, फिर उसका अंजन आंखो मे लगाकर जिस साध्य ब्यक्ति के पास पहुंचेंगे बह देखते ही बशीभूत हो जायेगा ।
 

2nd Oghadnath Bashikaran Tantra Upay :

मैनसिल, गोरोचन तथा ताम्बुल को पीसकर उक्त मंत्र द्वारा 108 बार अभिमंत्रित करके अपने मस्तक पर तिलक लगाकर जिस साध्य ब्यक्ति के पास पहुंचेंगे, बह देखते ही बशीभूत हो जाता है ।
 

3rd Oghadnath Bashikaran Tantra Upay :

शुक्ल पक्ष की त्रयोद्शी के दिन सफेद घुंघची को जड सहित उखाडकर घर ले आयें, फिर उसे कूट-पीसकर चूर्ण बना लें, तत्पश्चात् उस चुर्ण को उक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करें । अभिमंत्रित चूर्ण जिस साध्य ब्यक्ति को पान में रखकर खिला देंगे, बह साधक के बशीभूत हो जायेगा ।
 

4th Oghadnath Bashikaran Tantra Upay :

मंत्र को साध्य ब्यक्ति के नाम सहित बेल के कांटे द्वारा तालपत्र पर लिखकर उस तालपत्र को दुध में पकायें, फिर 3 दिन तक उस तालपत्र को कीचड में रखें, तीन दिन बाद तालपत्र को कीचड मे से निकालकर दुर्गास्तब मण्ड्प के द्वार मे गाड दें। इस प्रयोग के करने से साध्य ब्यक्ति बशीभूत हो जाता है ।
 

5th Oghadnath Bashikaran Tantra Upay :

बेल के कांटे द्वारा तालपत्र के उपर उक्त मंत्र को लिखे । फिर भद्रकाली की पूजा करके जिस ब्यक्ति को बश में करना हो, उसके घर में उस तालपत्र को गाड दें । साध्य ब्यक्ति आपके बशीभूत हो जायेगा ।
 

6th Oghadnath Bashikaran Tantra Upay :

पूर्बोक्त मंत्र द्वारा पूजन करने पर साध्य-ब्यक्ति को बश मे किया जा सकता है ।
 
सहदेई का प्रयोग :
सहदेई नामक बूटी का छाया में सुखाकर चूर्ण कर लें । उस चूर्ण को मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके साध्य ब्यक्ति को पान में रखकर खिला दें, तो बह बशीभूत हो जायेगा ।
 
कुमकुम का प्रयोग :
कुमकुम, नागरमोथा, कूठ, हरताल एब मैनसिल – इन सब बस्तुओ को समभाग लेकर अनामिका उंगली के रक्त मे पीसकर लेप बना लें, फिर उस लेप को मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके अपने मस्तक पर तिलक लगाकर साध्य ब्यक्ति के पास पहुंचें, तो बह साधक को देखते ही बशीभूत हो जाता है ।
 
गोरोचन का प्रयोग :
गोरोचन , पद्म पत्र,त्रिपंगु और लाल चन्दन -इन सब बस्तुओं का समभाग लेकर इकट्ठा पीस लें, फिर उस लेप को उक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके अपने मस्तक पर तिलक लगायें। जिस साध्य-ब्यक्ति के पास पहुंचेंगे, बह साधक को देखते ही बशीभूत हो जायेगा ।
 
शेवतगुंजा का प्रयोग :
शेवतगुंजा, अर्थात सफेद घुंघची को छाया में सुखाकर कपिला गाय के दुध में घिस लें, फिर उस लेप को पुर्बोक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित कर, अपने मस्तक पर तिलक लगाकर साध्य ब्यक्ति के पास पहुंचेंगे, तो बह देखते ही बशीभूत हो जायेगा ।
 
स्वेत दुर्बा का प्रयोग :
स्वेत दुर्बा, अर्थात सफेद रंग बाली दूब को गाय के दूध मे घिसकर पूर्बोक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करें, फिर उसका मस्तक पर तिलक लगाकर साध्य ब्यक्ति के पास पहुंचें।बह देखते ही बशीभूत हो जायेगा ।
 
स्वेत अर्क पुष्प का प्रयोग :
सफेद आक के फुलों को छाया में सुखाकर कपिला गाय के दुध में पीसें, फिर उसे पूर्बोक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके अपने मस्तक पर तिलक लगायें। जिस साध्य ब्यक्ति के सामने जा खडे होंगे, बह देखते ही बशीभूत हो जायेगा ।
 
हरताल का प्रयोग :
हरताल, सगन्ध तथा सिन्दुर को केले के रस में पीसकर, उक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके अपने मस्तक पर तिलक लगायें। जिस साध्य ब्यक्ति के पास पहुंचेंगे,बह देखते ही बशीभूत हो जायेगा ।
 
अपामार्ग बीज का प्रयोग :
अपामार्ग ,अर्थात् ओंगा के बीजों को कपिला गाय के दूध में पीसकर उक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके अपने मस्तक पर तिलक कर जिस साध्य ब्यक्ति के पास पहुंचेंगे , बह देखते ही बशीभुत हो जायेगा ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (मो.) 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या

Acharya Pradip Kumar is one of the best-known and renowned astrologers, known for his expertise in astrology and powerful tantra mantra remedies. His holistic approach and spiritual sadhana guide clients on journeys of self-discovery and empowerment, providing personalized support to find clarity and solutions to life's challenges.

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