राहु और केतु अगर आपकी कुंडली में है तो ज़रा संभल जाइये :-

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राहु और केतु अगर आपकी कुंडली में है तो ज़रा संभल जाइये :-

राहु : कुंडली में राहु की महादशा 18 वर्ष की होती है । राहु में राहु की अंतर्दशा का काल 2 वर्ष 8 माह और 12 दिन का होता है । इस अवधि में राहु से प्रभावित व्यक्ति को अपमान और बदनामी का सामना करना पड़ सकता है । विष और जल के कारण पीड़ा हो सकती है । खराब भोजन से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है । इसके अतिरिक्त अपच, सर्पदंश, अनैतिक संबंध के योग भी इस अवधि में बनते हैं । अशुभ राहु की अवधि में व्यक्ति के किसी करीबी व्यक्ति से दूर हो सकता है । किसी दुष्ट व्यक्ति के कारण परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है ।
राहु में बृहस्पति की अंतर्दशा :
इस महादशा में गुरु की अंतर्दशा की अवधि 2 वर्ष 4 माह और 24 दिन की होती है । राक्षस प्रवृत्ति का ग्रह राहू और देवताओं के गुरु बृहस्पति का यह संयोग सुखदायी होता है । व्यक्ति के मन में श्रेष्ठ विचारों का संचार होता है और उसका शरीर स्वस्थ रहता है । धार्मिक कार्यों में उसका मन लगता है । यदि कुंडली में गुरु अशुभ हो और राहु के साथ या राहू की दृष्टि गुरु पर हो तो शुभ फल नहीं मिलते हैं ।
राहु में शनि की अंतर्दशा :
राहू में शनि की अंतर्दशा 2 वर्ष 10 माह और 6 दिन की होती है । इस अवधि में परिवार में कलह की स्थिति बनती है । तलाक भाई, बहन और संतान से अनबन, नौकरी में या अधीनस्थ नौकर से संकट की संभावना रहती है । शरीर में अचानक चोट या दुर्घटना के दुर्योग, कुसंगति आदि की संभावना भी रहती है । साथ ही वात और पित्त जनित रोग भी हो सकता है ।
राहु में बुध की अंतर्दशा :
इस महादशा में बुध की अंतर्दशा की अवधि 2 वर्ष 3 माह और 6 दिन की होती है । इस समय धन और पुत्र प्राप्ति के योग बनते हैं । राहू और बुध की मित्रता के कारण मित्रों का सहयोग प्राप्त होता है । साथ ही, कार्य कौशल और चतुराई में वृद्धि होती है । व्यापार का विस्तार होता है और मान, सम्मान यश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है ।
राहु में केतु की अंतर्दशा :
इस महादशा में केतु की यह अवधि सामान्यत: शुभ फल नहीं देती है । एक वर्ष और 18 दिन की इस अवधि में व्यक्ति को सिर से जुड़ी बीमारियां, शत्रुओं से परेशानी, शस्त्रों से घात, अग्नि से हानि, शारीरिक पीड़ा आदि का सामना करना पड़ सकता है । रिश्तेदारों और मित्रों से परेशानियां व परिवार में क्लेश भी हो सकता है ।
राहु में शुक्र की अंतर्दशा :
इस महादशा में शुक्र की दशा तीन वर्ष तक रहती है । इस अवधि में वैवाहिक जीवन में सुख मिलता है । वाहन और भूमि की प्राप्ति के योग बनते हैं । यदि कुंडली में शुक्र और राहू शुभ न हों तो शीत संबंधित रोग, बदनामी और कार्य स्थल पर विरोध का सामना करना पड़ सकता है ।
राहु में सूर्य की अंतर्दशा :
इस महादशा में सूर्य की अंतर्दशा की अवधि 10 माह और 24 दिन की होती है, जो अन्य ग्रहों की तुलना में सर्वाधिक कम है । इस अवधि में शत्रुओं से कष्ट, शस्त्र से घात, अग्नि से हानि, आंखों के रोग, राज्य या शासन से भय, परिवार में कलह आदि हो सकते हैं । सामान्यतः यह समय अशुभ प्रभाव देने वाला ही होता है
राहु में चंद्र की अंतर्दशा :
एक वर्ष 6 माह की इस अवधि में व्यक्ति मानसिक कष्ट होता है । इस अवधि में जीवन साथी से अनबन भी हो सकती है । लोगों से वाद-विवाद, आकस्मिक संकट एवं जल जनित पीड़ा की संभावना भी रहती है । इसके अतिरिक्त पशु या कृषि की हानि, धन का नाश, संतान को कष्ट भी हो सकते हैं ।
राहु में मंगल की अंतर्दशा :
इस की महादशा में मंगल की अंतर्दशा का समय एक वर्ष 18 दिन का होता है । इस समय में अग्नि से भय, चोरी, अस्त्र-शस्त्र से चोट, शारीरिक पीड़ा, गंभीर रोग आदि हो सकते हैं । इस अवधि में पद एवं स्थान परिवर्तन तथा भाई को या भाई से पीड़ा के योग बनते हैं ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार : 9438741641 (call/ whatsapp)

Acharya Pradip Kumar is one of the best-known and renowned astrologers, known for his expertise in astrology and powerful tantra mantra remedies. His holistic approach and spiritual sadhana guide clients on journeys of self-discovery and empowerment, providing personalized support to find clarity and solutions to life's challenges.

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