श्री माई अक्षत झोपडी साधना सिद्धि

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Shri Mai Akshat Jhopadi Sadhna Siddhi :

Akshat Jhopadi Sadhna Mantra :
मंत्र : “ॐ नमो गुरुजी। आई चल आंखडी आंखमे पड मुझे बौलाबी
जल्दी चल इस सभा की आंख में पड काजल की कोटडी
तहां बसे माई अखत झोपडी पड जा सभा पर इस बखत पर
शवद सांचा पिण्ड काचा चलो मंत्र मेरे गुरुजी के बचन से।।”
साधकों यह साधना (Akshat Jhopadi Sadhna) मैली बिधि की गिनती में आती है । यह देबी उग्र मानी जाती है । इसके चमत्कारी काम बंगाल में ब कामरू देश में प्रत्यख्य देखने को मिलते हैं । यह प्रेत आत्मा की भांति श्रीघ्र ही घण्टों के काम मिनटों में पूर्ण करती है । यह देबी मैली मसाणी के साथ रहती है । ऐसी कई झौपडियों का नाम आया है । जिन सभी के कार्य अलग अलग है तथा साधना की बिधि बिधान भी भिन्न भिन्न है । यह कामरु देश की मैली बिद्या एबं काला जादू के नाम इन्हीं शक्तियों के द्वारा पडा है । ये सभी अक्षत झोपडी साधनाएं (Akshat Jhopadi Sadhna) बाम तंत्र से जूडी हुई हैं । इनकी प्रधान देबी कामाख्या काली एबं सिद्धेश्वरी मानी जाती हैं तथा मैली मसाणी माई भी उसी के अन्दर आती है जो सदा ही श्मशान में निबास करती है । अक्षत झोपडी साधना (Akshat Jhopadi Sadhna) का बिधि बिधान सबसे भीन्न है । इस देबी की साधना करना आसान है । लेकिन उसके नियमों का पालन करना एबं सीमा में रहना कठिन होता है तथा मैली मसाणी अघोर तंत्र, शैबतंत्र एबं शक्ति तंत्र दोनों से ही सिद्ध की जाती है । लेकिन अक्षत झोपडी साधना (Akshat Jhopadi Sadhna) घर में या घर के आस पास नहीं की जाती है । ये बिनाशकारी शक्तियां हैं । लेकिन ये अघोरियों के लिये उपयोगी सिद्ध होती है । ये अक्षत झोपडी साधनायें (Akshat Jhopadi Sadhna) गुरु मछन्दर नाथ के समय से चली आ रही हैं । लेकिन आज बहुत कम लोगों के पास ही रही है, बाकी लुप्त हो गई हैं । अब मैं अक्षत झोपडी की बिधि दे रहा हुं जो इस प्रकार है :-
 
इस साधना को महाकाली साधक भैरब भक्त, कामाख्या साधक ही करे तो ठीक रहेगा या चौरासी खाता बाला औझा, तांत्रिक कर सकता है । यह मेलडी झौपडी के भक्त के लिये अधिक लाभकारी प्रयोग है । यह मेलडी माता के साथ की शक्ति है अर्थात उंनका अंश भी मानी जाती है ।
 
उपरोक्त बताये गये देबों के साधकों को यह अक्षत झोपडी साधना करने से पहले उक्त मंत्र को कण्ठ्स्थ कर लेना चाहिए । यह साधना काली चौदस की रात्रि में 12 बजे से आरम्भ करें । सर्बप्रथम साधक स्नान करके लाल या काले बस्त्र धारण कर ले । बस्त्र कोई भी होंगे तो चलेंगे लेकिन रंग काला या लाल होना चाहिये अर्थात् कपडे भले सिले हुये होंगे तो भी चलेंगे और बिना सिले भी दोनों ही उपयोगी हैं । लेकिन मान सम्मान आदि की कामना से तथा पद प्रतिष्ठा आदि की इछा रखने बाले साधक को लाल बस्त्र ही धारण करने चाहिये एबं शत्रु निबारण तथा शत्रु में भय आदि के लिये काले बस्त्र का उपयोग करें । लेकिन अक्षत झोपडी साधना साबधानी पूर्बक करे । अब साधक बस्त्र धारण करके श्मशान या नदी किनारे आसन लगा कर पूर्बदिशा की और मुख करके बैठ जाये और अपने सामने मिट्टी के कोराये में लाल मौली की बती बनाकर रखे और उसमें तिली का तेल या मुंगफली का तेल भरकर उस दीपक को जलाबे तथा कपूर लौबान, गुगल, बतीसा, आसापुरी, लाल चन्दन का बुरादा तथा मेलडी झौपडी, धूप को गोबर के कणडों पर जलाबे और दीपक के पास ही देबी की पूजा करे । उसी दीपक को देबी मानकर अबीर, गुलाल, कुम्कुम, चन्दन, सिन्दुर, फल, मिठाई, पांच गुलाब के पुष्प से पूजा करे और नैबेद्य में सात प्रकार की मिठाई । खीर, सुखडी, नारियल पानी बाला, इत्र चडाबें । अब साधक गुरु मंत्र की एक माला जप कर साधना मंत्र का जप लालचन्दन की माला से या सफेद हकीक की माला से करे । जप 108 बार जपे । जप पूर्ण होने पर सारी सामग्री बहीं छोड दें और स्वयं अकेले घर आकर या रास्ते में स्नान कर ले और बस्त्र भी धोले । फिर किसी बिशेष कार्य के लिये किसी सभा या समाज के सामने जाना हो तब उक्त मंत्र का मन ही मन जप करके जाये तो साधक की आज्ञा का पालन होता है अर्थात् साधक की बात का सभी मान रखेंगे । यह अक्षत झोपडी सिद्ध प्रयोग है । इसके कई प्रयोग किये जाते हैं । मंत्र एक ही रहता है लेकिन बिधि ब दिन तथा प्रयोग हेतु बस्तुये भिन्न भिन्न उपयोग में ली जाती है ।

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जय माँ कामाख्या

Acharya Pradip Kumar is one of the best-known and renowned astrologers, known for his expertise in astrology and powerful tantra mantra remedies. His holistic approach and spiritual sadhana guide clients on journeys of self-discovery and empowerment, providing personalized support to find clarity and solutions to life's challenges.

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