जन्म कुंडली में 11 अशुभ योग एवं निवारण उपाय :

जन्म कुंडली में 11 अशुभ योग एवं निवारण उपाय :

अशुभ योग : किसी व्यक्ति की कुंडली उसके जीवन का अाईना होता है । जन्म के वक्त ग्रहों की स्थिति और दशा के अाधार पर ही कुंडली का निर्माण होता है । अंगारक योग, चांडाल योग, विष योग, वैधव्य योग, अल्पायु योग, ग्रहण योग, दारिद्र्य योग अादि कुछ ऐसे योग हैं जो जीवन में दुख के कारण बनते हैं । जन्म कुंडली में 2 या इससे अधिक ग्रहों के मेल से योग का निर्माण होता है । घातक योग का पता चलते ही यथा शीघ्र उनका निवारण कर लेना चाहिए, ताकि अनिष्ट को टाला जा सके । यहां हम कुंडली के अशुभ योग और उनके निवारण के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।

अशुभ अंगारक योग :

कुंडली में मंगल का राहु या केतु में से किसी के साथ स्थान अथवा दृष्टि से संबंध स्थापित हो जाए तो अंगारक योग का निर्माण होता है । इस योग के परिणामस्वरुप व्यक्ति अाक्रामक हो जाता है । रिश्तेदारों से उसके संबंध बेहतर नहीं होते । वह अशांत रहता है। काम में परेशानी होती है ।
 
उपाय – प्रतिदिन हनुमानजी की पूजा करें। मंगलवार के दिन लाल गाय को गुड़ और प्रतिदिन पक्षियों को दाना डालें ।

अशुभ अल्पायु योग :

कुंडली में अल्पायु योग होने पर व्यक्ति के जीवन पर हमेशा संकट के बादल मंडराते रहते हैं । कुंडली में चन्द्र ग्रह, पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या फिर लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तब अल्पायु योग बनता है ।
 
उपाय – प्रतिदिन हनुमान चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। बुरे कर्मों से दूर रहें ।

अशुभ चांडाल योग :

कुंडली में चांडाल योग हो तो व्यक्ति के शिक्षा, धन और चरित्र की स्थिति डांवाडोल होती है। इसका असर व्यक्ति के चरित्र पर सबसे ज्यादा दिखता है । जब कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु या केतु विराजमान होते हैं, तब चांडाल योग का निर्माण होता है । व्यक्ति बुजुर्गों का निरादर करता है । पेट और सांस संबंधी रोग भी होते हैं । इसका सबसे ज्यादा प्रभाव शिक्षा और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है ।
 
उपाय – पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए। प्रतिदिन माथे पर केसर, हल्दी और चंदन का टीका लगाएं । गुरवार को उपावास करना बेहतर होगा ।

अशुभ वैधव्य योग :

शादी के तुरंत बाद या कुछ समय बाद विधवा हो जाना वैधव्य योग होता है । जब कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी मंगल हो और इस पर शनि की तृतीय, सप्तम या दशम दृष्टि पड़े तो वैधव्य योग का निर्माण होता है ।
 
उपाय – कन्या को 5 साल तक मां मंगला गौरी की पूजा करनी चाहिए । विवाह से पहले कुंभ विवाह करना चाहिए । विवाह के बाद इस योग का पता चले तो पति – पत्नी को मंगल और शनि के उपाय करने चाहिए ।

अशुभ दारिद्र्य योग :

इस योग के होने से जीवन भर अार्थिक स्थिति खराब रहेगी । जब कुंडली में 11वें घर का स्वामी ग्रह कुंडली के 6, 8 या 12वें घर में स्थित हो तो दारिद्र्य योग बनता है ।
 
उपाय – मां लक्ष्मी की आराधना करें । बुरे कर्मों से दूर रहें और किसी का बुरा ना चाहें ।

अशुभ विष योग :

शनि और चंद्र की युति या शनि की चंद्र पर दृष्टि पड़ना विष योग होता है । यदि कुंडली में 8वें स्थान पर राहु मौजूद हो और शनि मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक लग्न में हो तो भी यह अशुभ योग बनता है । इस योग से व्यक्ति को जीवन भर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे माता को भी परेशानी होती है ।
 
उपाय – हनुमानजी की उपासना करें, शनिवार को छाया दान और महामृत्युंजय जाप करें ।

अशुभ केमद्रुम योग :

कुंडली में चंद्रमा के कारण केमुद्रुम योग बनता है। कुंडली में चंद्रमा दूसरे या बारहवें भाव में होता है और चंद्र के आगे-पीछे के भावों में कोई ग्रह न हो तो यह योग बनता है । इस योग के कारण व्यक्ति को आजीवन धन की परेशानी झेलनी पड़ती है ।
 
उपाय – भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए । हर शुक्रवार महालक्ष्मी को लाल गुलाब अर्पित करें। चंद्र संबंधित वस्तुओं का दान करें ।

अशुभ ग्रहण योग :

कुंडली के किसी भाव में चंद्रमा और राहु या केतु साथ बैठे हों तो ग्रहण योग बनता है । इसमें सूर्य भी साथ हो जाए व्यक्ति की मानसिक स्थिति खराब हो जाती है। नौकरी और स्थान में बदलाव होता है । मानसिक पीड़ा और मां को भी हानी होती है ।
 
उपाय – सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय जप और पूजा करने से इस योग का प्रभाव कम हो सकता है । सूर्य की अाराधना करें और जल चढ़ाएं। एकादशी और रविवार का व्रत रखें। दाढ़ी और चोटी न रखें।
 
अगर अापकी कुंडली में भी कोई अशुभ योग है तो अाप हमारे ज्योतिषियों से बात कर इसका निवारण कर सकते हैं ।

अशुभ कुज योग या मंगल दोष :

कुंडली के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या बारहवें भाव में हो तो यह कुज योग बनाता है । इसे मंगल दोष भी कहा जाता है। कुज योग से वैवाहिक जीवन कष्टप्रद हो जाता है ।
विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करें। दोनों की कुंडली में मांगलिक दोष है तो ही विवाह करना चाहिए। विवाह होने के बाद इस योग का पता चले तो उपाय करें ।
उपाय –  मांगलिक योग के उपाय के लिए अश्वगंधा रेखा के साथ एक लौंग पूजन करें और हनुमान चालीसा पढ़ें । पीपल और वट वृक्ष में नियमित जल अर्पित करें । मंगल का जाप या पूजा करवाएं ।

अशुभ षडयंत्र योग :

लग्नेश आठवें घर में विराजमान हो और उसके साथ कोई भी शुभ ग्रह ना हो, तब षडयंत्र योग बनता है। इस योग के कारण व्यक्ति किसी करीबी के षडयंत्र का शिकार होता है ।
 
उपाय – भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए । सोमवार को शिवलिंग पर जल और आक के फूल चढ़ाएं। हनुमान चालिसा का पाठ करें ।

अशुभ भाव नाश योग :

कुंडली में भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें स्थान पर बैठा हो, तो वह उस भाव के सभी प्रभावों को नष्ट कर देता है ।
 
उपाय – कुंडली में जिस ग्रह को लेकर भावनाशक योग बन रहा है उससे संबंधित दिन हनुमानजी की पूजा करें और साथ ही संबंधित ग्रह का रत्न पहनें ।
To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार – 9438741641 (Call/ Whatsapp)

India's leading astrological service center with a proven track record of success. Our expert astrologers provide accurate predictions, effective remedies, and personalized guidance for a brighter future."

Sharing Is Caring:

Leave a Comment