सुख शांति ऐश्वर्य प्रदायक सिद्ध मेलडी अष्टकम् :

शं शं शं श्मशान बसे माता मेलडी।
भं भक्तो के हृदय में बसे माता मेलडी।
त्रिं त्रिशुल टाले ताप माता मेलडी।
ख्यं खेत्रपाल की चौकी मुके माता मेलडी।
रां रामचन्द्र की आज्ञाएं माता मेलडी।
ईं ईश्वरी महाशक्ति माता मेलडी।
ओं आबो आबो माता मेलडी।
ऐं ह्रीं क्लीं अखण्ड आनन्द आपो माता मेलडी।

।। अष्टकम् पाठ बिधि ।।

साधक इस चमत्कारी अष्टकम् पाठ किसी शुभ मुहूर्त में लाभ के चौघडिया में या अमृत चौघडिया में किसी रबिबार के दिन या मंगलबार के दिन आरम्भ करे । सर्बप्रथम साधक पबित्र होकर साफ धुले हुये लाल बस्त्र धारण कर लें । फिर अपने पूजा कख्य में आसन लगाकर उस पर बैठ जाये साधक अपना मुख पूर्ब की और रखें । इसके बाद तिली के तेल का दीपक जलाबें और माता का पंचोपचार पूजन कर लें । एक पानी का लोटा भी सामने रखें । पांच गुलाब के फूल चडाबें और माता मेलडी को कुम्कुम, गुलाल ,अबीर, सिन्दुर और चन्दन चडाबें एबं सुगन्धित अगरबती और गुगुल एबं बतीसाधूप को गाय के घी में भिगोकर अंगारों पर धुनी लगाबें फिर अपनी कामना ब इछा का चिंतन करके माता मेलडी का उपरोक्त अष्टक जपे । इस अष्टक के पाठ करने से साधक के घर में सुख शांति, ऐश्वर्य, बैभब की प्राप्ति होती है और सदा माता मेलडी की कृपा बरसती रहती है एबं रिद्धि सिद्धि का बास होता है । इस अष्टक का साधना करते समय साधक पाठ करें तो लाभदायक रहता है यह समस्त कार्यो को सिद्ध करने बाला परम पाबन अष्टक है । सभी नियमों का पालन करने बाले भक्त के लिये उत्तम फलदायी होगा ।

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