समस्त रोगादि निवारण के लिये दुर्लभ इन्द्राक्षी दुर्गा प्रयोग :

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समस्त रोगादि निवारण के लिये दुर्लभ इन्द्राक्षी दुर्गा प्रयोग :

इन्द्राक्षी दुर्गा माता के अनन्त रूप है माता दुर्गा ने अपने भक्तो की रक्षा एवं उनकी भिन्न भिन्न भावनाओ के अनुसार आकांक्षाओ की पूर्ति के लिये अनेक रूपों मे अवतार लिये है विभिन्न रोगो की निवृत्ति के लिये “इन्द्राक्षी दुर्गा” का मन्त्र जप, कवच पाठ, स्तोत्र पाठ तथा यन्त्र पूजा आदि का निर्देश ऋषियों ने दिया है ।
 
इन्द्राक्षि दुर्गा की आराधना करने के इच्छुक सर्वप्रथम अपने गुरू और गणेशजी का स्मरण करके अपने समक्ष एक पट्टे पर किसी पात्र मे अथवा भोजपत्र पर इन्द्राक्षि दुर्गा यंत्र निर्माण करें; अष्टगंध की स्याही से अनार की कलम द्वारा यंत्र लेखन करें । तत्पश्चात यंत्र को प्राण-प्रतिष्ठा करें षोडशोपचार पूजा करें उसके बाद मंत्र जाप करें ।
 
इन्द्राक्षी मन्त्र :-
“ऊँ ह्रीं ऊँ नमो भगवति प्राणेश्वरि पद्मासने लम्बोष्ठि कम्बुकण्ठिके कलि कामरूपिणि परमन्त्रपरयन्त्रपरतंत्रप्रभेदिनि प्रतिपक्षविध्वंसिनि परबलदुर्गविमर्दिनी शत्रुकरच्छेदिनि सकलदुष्टजवरनिवारिणी भूतप्रेतपिशाचब्रह्मराक्षसयक्षयमदूतशाकिनीडाकिनीकामिनीस्तम्भिनीमोहिनीवशंकरीकुक्षिरोगशिरोरोगनेत्ररोगक्षयापस्मारकुष्ठादिमहारोगनिवारिणि मम सर्वरोगान् नाशय नाशय ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रः हूं फट् स्वाहा।”

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