ज्योतिष में ऊपरी बाधा योग और उपाय

ऊपरी बाधा योग : हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं किंतु बहुधा हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं । इन अदृश्य शक्तियों को ही आम जन ऊपरी बाधा योग की संज्ञा देते हैं । भारतीय ज्योतिष में ऐसे कतिपय योगों का उल्लेख है जिनके घटित होने की स्थिति में ये शक्तियां शक्रिय हो उठती हैं और उन ऊपरी बाधा योग के जातकों के जीवन पर अपना प्रतिकूल प्रभाव डाल देती हैं । यहां ऊपरी बाधाओं के कुछ ऐसे ही प्रमुख योगों तथा उनसे बचाव के उपायों का उल्लेख प्रस्तुत है ।
 
* लग्न में राहु तथा चंद्र और त्रिकोण में मंगल व शनि हों, तो जातक को ऊपरी बाधा योग के कारण प्रेत प्रदत्त पीड़ा होती है ।
* चंद्र पाप ग्रह से दृष्ट हो, शनि सप्तम में हो तथा कोई शुभ ग्रह चर राशि में हो, तो ऊपरी बाधा योग से भूत से पीड़ा होती है ।
* शनि तथा राहु लग्न में हो, तो जातक को भूत सताता है ।
* लग्नेश या चंद्र से युक्त राहु लग्न में हो, तो प्रेत योग होता है ।
* यदि दशम भाव का स्वामी आठवें या एकादश भाव में हो और संबंधित भाव के स्वामी से दृष्ट हो, तो उस स्थिति में भी ऊपरी बाधा योग होता है ।
 
उक्त ऊपरी बाधा योग के जातकों के आचरण और व्यवहार में बदलाव आने लगता है । ऐसे में उन योगों के दुष्प्रभावों से मुक्ति हेतु निम्नलिखित उपाय करने चाहिए ।
@ संकट निवारण हेतु पान, पुष्प, फल, हल्दी, पायस एवं इलाइची के हवन से दुर्गासप्तशती के बारहवें अध्याय के तेरहवें श्लोक सर्वाबाधा……..न संशयः मंत्र से संपुटित नवचंडी प्रयोग कराएं ।
 
@ दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय के चौबीसवें श्लोक का पाठ करते हुए पलाश की समिधा से घृत और सीलाभिष की आहुति दें, कष्टों से रक्षा होगी ।
 
@ शक्ति तथा सफलता की प्राप्ति हेतु ग्यारहवें अध्याय के ग्यारहवें श्लोक सृष्टि स्थिति विनाशानां……का उच्चारण करते हुए घी की आहुतियां दें ।
 
@ शत्रु शमन हेतु सरसों, काली मिर्च, दालचीनी तथा जायफल की हवि देकर अध्याय के उनचालीसवें श्लोक का संपुटित प्रयोग तथा हवन कराएं ।
ऊपरी बाधा योग केलिए कुछ अन्य उपाय :
* महामृत्युंजय मंत्र का विधिवत् अनुष्ठान कराएं । जप के पश्चात् हवन अवश्य कराएं ।
* महाकाली या भद्रकाली माता के मंत्रानुष्ठान कराएं और कार्यस्थल या घर पर हवन कराएं ।
* गुग्गुल का धूप देते हुए हनुमान चालीस तथा बजरंग बाण का पाठ करें ।
* उग्र देवी या देवता के मंदिर में नियमित श्रमदान करें, सेवाएं दें तथा साफ सफाई करें ।
* यदि घर के छोटे बच्चे पीड़ित हों, तो मोर पंख को पूरा जलाकर उसकी राख बना लें और उस राख से बच्चे को नियमित रूप से तिलक लगाएं तथा थोड़ी-सी राख चटा दें ।
 
घर की महिलाएं यदि किसी समस्या या बाधा से पीड़ित हों, तो निम्नलिखित प्रयोग करें :
 
सवा पाव मेहंदी के तीन पैकेट (लगभग सौ ग्राम प्रति पैकेट) बनाएं और तीनों पैकेट लेकर काली मंदिर या शस्त्र धारण किए हुए किसी देवी की मूर्ति वाले मंदिर में जाएं । वहां दक्षिणा, पत्र, पुष्प, फल, मिठाई, सिंदूर तथा वस्त्र के साथ मेहंदी के उक्त तीनों पैकेट चढ़ा दें । फिर भगवती से कष्ट निवारण की प्रार्थना करें और एक फल तथा मेहंदी के दो पैकेट वापस लेकर कुछ धन के साथ किसी भिखारिन या अपने घर के आसपास सफाई करने वाली को दें । फिर उससे मेहंदी का एक पैकेट वापस ले लें और उसे घोलकर पीड़ित महिला के हाथों एवं पैरों में लगा दें । पीड़िता की पीड़ा मेहंदी के रंग उतरने के साथ-साथ धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी ।
 
व्यापार स्थल पर किसी भी प्रकार की समस्या हो, तो वहां श्वेतार्क गणपति तथा एकाक्षी श्रीफल की स्थापना करें । फिर नियमित रूप से धूप, दीप आदि से पूजा करें तथा सप्ताह में एक बार मिठाई का भोग लगाकर प्रसाद यथासंभव अधिक से अधिक लोगों को बांटें । भोग नित्य प्रति भी लगा सकते हैं ।
कामण प्रयोगों से होने वाले दुष्प्रभावों से बचने के लिए दक्षिणावर्ती शंखों के जोड़े की स्थापना करें तथा इनमें जल भर कर सर्वत्र छिड़कते रहें ।
 
हानि से बचाव तथा लाभ एवं बरकत के लिए गोरोचन, लाक्षा, कुंकुम, सिंदूर, कपूर, घी, चीनी और शहद के मिश्रण से अष्टगंध बनाकर उसकी स्याही से नीचे चित्रित पंचदशी यंत्र बनाएं तथा देवी के 108 नामों को लिखकर पाठ करें ।
 
बाधा मुक्ति के लिए : किसी भी प्रकार की बाधा से मुक्ति के लिए मत्स्य यंत्र से युक्त बाधामुक्ति यंत्र की स्थापना कर उसका नियमित रूप से पूजन-दर्शन करें ।
 
अकारण परेशान करने वाले व्यक्ति से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए : यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो, तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे-
बैठे वहीं के पानी से उस व्यक्ति का नाम लिखें और बाहर निकलने से पूर्व जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर अपने बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारें । ध्यान रहे, यह प्रयोग स्वार्थवश न करें, अन्यथा हानि हो सकती है ।
 
रुद्राक्ष या स्फटिक की माला के प्रयोगों से प्रतिकूल परिस्थितियों का शमन होता है । इसके अतिरिक्त स्फटिक की माला पहनने से तनाव दूर होता है ।
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