ऋण एक व्यक्ति से उसके भविष्य की खुशियों को छीन लेता है और चिंताग्रस्त छोड़ देता हैं । इंसान आता है और जाता है लेकिन ऋण दिन दुगनी रात चौगुनी बढ़ता ही रहता है एक बार को तो समय भी रुक जाता है लेकिन ऋण और उसका ब्याज कभी नहीं रुकता चाहे कितनी ही पीढ़ियां आई गई हो जाए ।
आज का युग आर्थिक युग है और इस युग में हमें अपने कार्यों को पूर्ण करने के लिए रुपए पैसों की जरूरत पड़ती ही रहती हैं और ऐसा भी संभव नहीं है कि जो भी धन आपके पास उपलब्ध हो वह सब आपको पर्याप्त हो तो ऐसे में अपने कार्यों को पूर्ण रूप देने के लिए आपको धन रुपए पैसों की आवश्यकता पड़ती है और उस आवश्यकता की पूर्ति के लिए आपको रूपए पैसे उधार लेने पड़ते हैं लेकिन कभी-कभी ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है कि यह ऋण उतरने का नाम ही नहीं लेता या ऐसा कहना भी उचित होगा की आपने जो कोई ऋण किसी से लिया था वह किसी अशुभ समय में आपने लिया और उसका परिणाम यह होता है कि आप अपने ऋण को उतारने में असफल रहते हो और ऋण लगातार बढ़ता ही रहता है और साथ ही उस ऋण का ब्याज भी दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति करता रहता है और इसी के कारण आपका आने वाला भविष्य दुख में बना रहता है क्योंकि आपको ऋण चुकाने की कोई युक्ति नहीं मिल रही होती है और जो कुछ आप कमाते हो उससे घर का गुजारा हो जाए वह भी काफी है तो वर्तमान समय का लिया हुआ है हमें भविष्य काल तक परेशान करता है कहीं-कहीं तो ऐसे हालात होते हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी चली जाती है लेकिन ऋण वहीं का वहीं खड़ा रहता है और वह ऋण अपने साथ ब्याज को जोड़ जोड़ कर हट्टा-कट्टा एक राक्षस का रूप ले लेता है जिसका सामना करना असंभव सा प्रतीत होता है ।
आपके ऊपर चाहे कितना ही भारी ऋण क्यों ना हो आप का ऋण जरूर ही दूर हो जाएगा और आपका आने वाला भविष्य भी ऋण से दूर ही रहेगा ।
ऋण मुक्ति प्रयोग मन्त्र कुछ इस प्रकार है- “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं सं सिद्धिदा साधय साधय स्वाहा।”
ऋण मुक्ति प्रयोग विधि: 21 दिन तक इस ऋण मुक्ति प्रयोग मंत्र का जप 1188 बार करें ऐसा 21 दिन तक रोज करें । ऋण मुक्ति प्रयोग साधना के लिए उचित समय रात्रि 12:00 बजे से शुरू करें ।
21 दिन होने के पश्चात रोज एक माला किसी भी समय जप कर सकते हैं या पूजा-पाठ के समय जप कर सकते हैं । सूर्य या चन्द्र ग्रहण के समय इस ऋण मुक्ति प्रयोग मंत्र से काली मिर्च, शुद्ध घी, जटामांसी और दूर्वा इन सब से 108 बार आहुति जरूर देनी है ।
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जय माँ कामाख्या