कालसर्प योग के आसान उपाय :
कालसर्प योग ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण योग है जिसका महत्व ग्रहों के स्थिति और उनके प्रभावों पर आधारित होता है । इस योग के कारण व्यक्ति की जन्मकुंडली में राहु और केतु की युति होती है, जिसके प्रभाव से उन्हें विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है । इस लेख में, हम
कालसर्प योग के बारे में बात करेंगे और इसके उपायों पर ध्यान देंगे जो आपकी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं ।
आपकी जन्मकुंडली और कालसर्प योग का परिचय :
जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में राहु और केतु ग्रह किसी खास स्थान पर होते हैं तो कालसर्प योग बनता है । इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, वित्तीय दिक्कतें, परिवार में अनबन, आदि ।
कालसर्प योग उपाय
1 कालसर्प योग शांति के लिए नागपंचमी के दिन व्रत करें ।
2 काले नाग-नागिन का जोड़ा सपेरे से मुक्त करके जंगल में छोड़ें ।
3 चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को बहते हुए दरिया में बहाने से इस दोष का शमन होता है ।
4 उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष पर स्थित नागचन्द्रेश्वर मंदिर (जो केवल नागपंचमी के दिन ही खुलता है) के दर्शन करें ।
5 अष्टधातु या कांसे का बना नाग शिवलिंग पर चढ़ाने से भी इस दोष से मुक्ति मिलती है ।
6 नागपंचमी के दिन रुद्राक्ष माला से शिव पंचाक्षर मंत्र ” ॐ नमः शिवाय ” का जप करने से भी इसकी शांति होती है ।
7 यदि शुक्ल यजुर्वेद में वर्णित भद्री द्वारा नागपंचमी के दिन उज्जैन महाकालेश्वर की पूजा की जाए तो इस दोष का शमन होता है ।
8 शिव के ही अंश बटुक भैरव की आराधना से भी इस दोष से बचाव हो सकता है ।
9 घर की चौखट पर मांगलिक चिन्ह बनवाने विशेषकर चाँदी का स्वास्तिक जड़वाने से शुभता आती है, काल सर्पदोष में कमी आती है ।
10 पंचमी के दिन 11 नारियल बहते हुए पानी में प्रवाहित करने से काल सर्पदोष दूर होता है , यह उपाय श्रवण माह की पंचमी अर्थात नाग पंचमी को करना बहुत फलदायी होता है ।
11 किसी शुभ मुहूर्त में ओउम् नम: शिवाय’ की 21 माला जाप करने के उपरांत शिवलिंग का गाय के दूध से अभिषेक करें और शिव को प्रिय बेलपत्रा आदि श्रध्दापूर्वक अर्पित करें। साथ ही तांबे का बना सर्प शिवलिंग पर समर्पित करें ।
12 श्रावण महीने के हर सोमवार का व्रत रखते हुए शिव का रुद्राभिषेक करें। शिवलिंग पर तांबे का सर्प विधिपूर्वक चढ़ायें ।
13 श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें ।
14 श्रावण के प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर में दही से भगवान शंकर पर – हर हर महादेव’ कहते हुए अभिषेक करें ।
15 श्रावण मास में रूद्र-अभिषेक कराए एवं महामृत्युंजय मंत्र की एक माला का जाप रोज करें ।
16 नाग पंचमी एवं प्रत्येक माह के दोनों पक्षो की पंचमी के दिन “ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा” मन्त्र का जाप अवश्य ही करें। इससे काल सर्प योग के दुष्प्रभाव में कमी होती है ।
17 नाग पंचमी के दिन नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध बहुत प्रिय है, इससे नाग देवता प्रसन्न होते है और काल सर्प दोष में कमी आती है ।
18 जिस भी जातक पर काल सर्प दोष हो उसे कभी भी नाग की आकृति वाली अंगूठी को नहीं पहनना चाहिए ।
19 हर शुक्रवार को…रात को… अपने सिरहाने के पास कुछ जौ के दाने बर्तन में रख कर सो जाये और शनिवार को मन ही मन ” ॐ राहवे नमः …ॐ राहवे नमः ” कहके पक्षियों को वो जौ के दाने डाल दे कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है ।
20 सर्प सूक्त से उनकी आराधना करें ।
श्री सर्प सूक्त एक प्राचीन हिन्दू पौराणिक ग्रंथ ‘अथर्ववेद’ में मिलने वाला एक महत्वपूर्ण सूक्त है जो सर्प (नाग या साँप) की पूजा और आराधना करने के लिए उपयोगी माना जाता है। यह सूक्त भगवान वासुकि (नागराज) की स्तुति और महिमा को व्यक्त करता है और सर्पों के सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व को प्रकट करता है ।
।।श्री सर्प सूक्त।।
ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।1।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखाद्य:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।2।।
कद्रवेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।3।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।4।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।5।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।6।।
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।7।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।8।।
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।9।।
समुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जंलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।10।।
रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।11।।
यह सूक्त सर्प देवता के विभिन्न रूपों की स्तुति करता है और उनके प्रकार, शक्तियाँ और महत्व को व्यक्त करता है। इसके साथ ही, यह सर्पों की आध्यात्मिक उपासना के लिए एक माध्यम भी प्रस्तुत करता है जो व्यक्ति को आत्मा के साथ संबंधित अनुभवों की ओर प्रेरित करता है ।
श्री सर्प सूक्त का पाठ और उसकी आराधना सर्पों की कृपा, सुरक्षा और आरोग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है और यह हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण उपासना का हिस्सा बनता है ।
कालसर्प योग उपायों का प्रभाव :
कालसर्प योग के सकारात्मक उपायों का पालन करके व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है । ये उपाय व्यक्ति की भविष्य में स्थिति में सुधार कर सकते हैं और उन्हें जीवन की चुनौतियों का सही तरीके से सामना करने में मदद कर सकते हैं ।
कालसर्प योग के दोषों से बचाव और सकारात्मक प्रभाव प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को उपरोक्त उपायों का पालन करना चाहिए। यह उपाय व्यक्ति की जीवन में स्थिति को सुधारने में मदद कर सकते हैं और उन्हें आने वाली मुश्किलों के लिए मजबूत बना सकते हैं ।
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