कुंडली का सप्तम भाव : जानें विवाह भाव का महत्व

कुंडली का सप्तम भाव : जानें विवाह भाव का महत्व

कुंडली का सप्तम भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी तथा पार्टनर के विषय का बोध कराता है । यह नैतिक, अनैतिक रिश्ते को भी दर्शाता है । शास्त्रों में मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं । इनमें काम का संबंध कुंडली का सप्तम भाव से होता है । कुंडली का सप्तम भाव व्यक्ति की सामाजिक छवि तथा कार्य व व्यवसाय संबंधित विदेश यात्रा को भी दिखाता है । कुंडली का सप्तम भाव केन्द्रीय भाव में आता है । इसलिए यह व्यक्ति के जीवन में निजी और कार्यक्षेत्र के बीच तालमेल बनाता है ।
कुंडली का सप्तम भाव के कारकत्व :
कुंडली का सप्तम भाव से जीवनसाथी, मूत्रांग, वैवाहिक ख़ुशियाँ, यौन संबंधी रोग, व्यापार, सट्टा, कूटनीति, सम्मान, यात्राएँ, व्यापारिक रणनीति एवं व्यक्ति की गुप्त ऊर्जा को देखा जाता है ।
कुंडली का सप्तम भाव का महत्व :
जन्म कुंडली का सप्तम भाव गृह परिवर्तन एवं विदेश यात्राओं के विषय में बताता है । वहीं ऋषि पराशर के अनुसार, यदि प्रथम भाव का स्वामी सातवें भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति अपने मूल स्थान से दूर धन संपत्ति को बनाता है । सप्तम भाव क़ानूनी रूप से दो लोगों के बीच साझेदारी को भी दर्शाता है। यह साझेदारी वैवाहिक अथवा व्यापारिक हो सकती है । काल पुरुष कुंडली में तुला राशि को सातवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है। जबकि तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है । उत्तर-कालामृत के अनुसार, कुंडली में सातवाँ भाव व्यक्ति द्वारा गोद ली गई संतान को भी दर्शाता है ।
प्रश्न ज्योतिष के अनुसार, कुंडली का सप्तम भाव का संबंध खोए हुए धन की उपलब्धता, चोर एवं जेबकतरों से भी होता है। कुंडली में जहाँ प्रथम भाव जातकों की प्रॉपर्टी में हानि अथवा चोरी को दिखाता है तो वहीं सप्तम भाव यह बताता है कि किस व्यक्ति ने उस प्रॉपर्टी को चोरी किया है।
मेदिनी ज्योतिष के अनुसार, सप्तम भाव कैबिनेट, आंतरिक एवं विदेशी मामले, सुविधाजनक मनोरंजन के रिसोर्ट, यात्रा, जनता के साथ संबंध, व्यापार एवं संधि आदि के बारे में बताता है। यह भाव विवाह एवं तलाक़ को लेकर जनता के व्यवहार को भी दर्शाता है। यह भाव किसी राष्ट्र में महिलाओं का स्वामी माना जाता है। सप्तम भाव विदेश मंत्रालय, अन्य राष्ट्रों से संबंध, वैश्विक युद्ध या विवाद, विदेश व्यापार आदि का बोध कराता है।
कुंडली का सप्तम भाव से क्या देखा जाता है?
• वैवाहिक जीवन – ज्योतिष में सप्तम भाव से जातकों के वैवाहिक जीवन का पता चलता है। इस भाव में ग्रह की स्थिति व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। यह भाव जातकों के जीवनसाथी के गुण दोष तथा उसके शारीरिक रूप की भी व्याख्या करता है। कुंडली में सप्तम भाव के द्वारा व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में मिलने वाले सुखों और दुःखों को जाना जाता है।
• साझेदारी – साझेदारी दो लोगों के बीच एक सामंजस्य भाव को दर्शाती है। सप्तम भाव से दो लोगों के बीच होने वाली पार्टनरशिप को भी दर्शाता है। यह साझेदारी, जीवन, व्यापार, खेल या हर क्षेत्र में हो सकती है। सप्तम भाव के द्वारा यह विचार किया जाता है कि व्यक्ति को साझेदारी से लाभ मिलेगा या नहीं और उसके संबंध अपने पार्टनर के साथ कैसे रहेंगे।
• विदेश यात्रा – कुंडली में सप्तम भाव व्यक्ति के जीवन में विदेश यात्रा को दर्शाता है। हालाँकि कुंडली में तृतीय भाव तथा नवम भाव भी विदेश यात्राओं से प्रत्यक्ष संबंध रखते हैं। सप्तम भाव में विदेश यात्रा की अवधि क्या रहने वाली है, यह भाव में स्थित ग्रह की स्थिति पर निर्भर करता है।
• यौन अंग – शरीर में यौनांग भी सप्तम भाव से संबंध रखता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सप्तम भाव कालपुरुष के यौन अंगों का प्रतीक होता है, इसलिए सप्तम भाव पर किसी भी प्रकार के नकारात्मक प्रभाव पड़ने पर व्यक्ति को यौन संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
• कामेच्छा – सप्तम भाव व्यक्ति की कामुक भावना, काम इच्छा को भी प्रकट करता है। यदि इस भाव में क्रूर ग्रहों तथा शुक्र का सप्तम भाव पर प्रभाव व्यक्ति को विकृत कामेच्छा भी प्रदान कर सकता है।
• समृद्धिशाली जीवन – सप्तम भाव के साथ इस भाव के स्वामी का बलशाली होना एवं शुभ ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति को भौतिक सुखों से संपन्नता बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति का जीवन समृद्धिशाली होता है। वह अनेक प्रकार के भौतिक सुख प्रदान करने वाले संसाधनों का उपभोग करता है।
कुंडली का सप्तम भाव का अन्य भाव से अंतर्संबंध :
कुंडली में स्थित 12 भावों का एक-दूसरे से संबंध होता है । एकादश भाव से प्रभावित सप्तम भाव किसी स्त्री एवं पुरुष के बीच स्थाई रिश्ते को दर्शाता है जो मिलकर वंशानुक्रम को आगे बढ़ाते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि सप्तम भाव का संबंध व्यक्ति के विवाह, व्यापार, पार्टनरशिप, करियर, ख़्याति, दुश्मन, यौन अंग, सेक्स लाइफ और जीवनसाथी से है। इसके अलावा उस वस्तु का संबंध भी सप्तम भाव से है, जिससे व्यक्ति को ख़ुशियाँ प्राप्त होती है । इसके अतंर्गत व्यक्ति का विलासितापूर्ण जीवन भी आता है । पारिवारिक शत्रु और परिवार में आने वाली परेशानियाँ का पता कुंडली का सप्तम भाव से पता चलता है ।
यदि किसी जातक का विवाह होता है तो सप्तम भाव स्वतः ही सक्रिय हो जाता है। इसमें व्यक्ति ख़ुद को पुनः युवा महसूस कर सकता है अथवा इससे उसका आध्यात्मिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है। जीवनसाथी आपकी छाया प्रति के समान है और प्रथम भाव आपके व्यक्तित्व और स्वभाव, शारीरिक रचना के बारे में बताता है। सप्तम भाव आपके भाई बहनों की बुद्धिमता, क्रिएटिविटी तथा उनके बच्चों को भी दर्शाता है। यह आपके ननिहाल पक्ष, मूल स्थान से दूर जमा की गई संपत्ति या ज़मीन जायदाद और महिलाओं के साथ संबंधों को भी बताता है।
ज्योतिष में सप्तम भाव जातक की दूसरी संतान, कौशल, बोलने का अंदाज़ और पहली संतान को किसी भी खेल को खेलने की काबिलियत, नृत्य एवं यात्रा करने की रुचि को दर्शाता है। यह माता की संपत्ति, निवास स्थान में परिवर्तन, शत्रुओं का धन, शत्रुओं पर विजय, धन-संपत्ति में वृद्धि आदि को भी बताता है।
जन्म कुंडली में सप्तम भाव व्यक्ति की दीर्घायु, कामेच्छा एवं गूढ़ विज्ञान आदि में कमी को दर्शाता है । किसी ग्रह के गोचर के दौरान सातवां भाव व्यक्ति के अंदर ज्योतिष, रहस्यमय ज्ञान अथवा गूढ़ विज्ञान जैसे विषयों के प्रति उदासीनता का भाव पैदा कर सकता है । जबकि इसके विपरीत इस दौरान व्यक्ति की इच्छा पूर्ण होती है एवं पिताजी एवं गुरु जी को सफलता प्राप्त होती है । जातकों के करियर और व्यवसाय में उन्नति को भी इसी भाव से देखा जाता है । इसके अलावा यह भाव बड़े भाई-बहनों के धार्मिक दृष्टिकोण, उनकी लंबी यात्रा एवं उनकी नैतिकता का भी परिचय देता है ।

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