गणपति साधना और ग्रह शांति :

गणेश पूजा : भगवान शंकर और पार्वती जी के पुत्र श्री गणेश को गणपति, विनायक, लंबोदर, वक्रतुंड, महोदर, एकदंत तथा गजानन आदि अनेक नामों से संबोधित किया जाता है । सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूज्य श्री गणेश सभी सिद्धियों के प्रदाता और विघ्न विनाशक हैं । इसीलिए हिंदू धर्म में प्रत्येक कार्य शुरू करते समय सफलता पाने के लिए गणेश भगवान की पूजा की जाती है।
बुद्धि के विशेष प्रतिनिधि होने से गणपति का महत्व काफी बढ़ जाता है । विभिन्न धार्मिक क्षेत्रों में गणपति के विषय में विस्तृत वर्णन किया गया है । तंत्रशास्त्रों में भी इनकी महिमा का वर्णन है । इनमें गणेश साधना द्वारा अनेक प्रयोग बताये गये हैं, जो उपयोगी हैं ।
सनातन संस्कृति के अनुयायी बिना गणेश पूजा किये कोई शुभ व मांगलिक कार्य आरंभ नहीं करते । निश्चित ही वह अति विशिष्ट ही होगा जिसने तैंतीस करोड़ देवताओं में प्रथम स्थान प्राप्त किया है ।
गणेश महात्म्य : त्रिपुरासुर के वध के लिए जिसकी स्वयं महेश यानि भगवान शिव करते हैं, महिषासुर के नाश के लिए जिसकी तपस्या स्वयं आदि शक्ति भगवती करती हैं, वह गणाध्यक्ष विनायक कोई भी कार्य संपादन का एक मात्र अधिष्ठाता होगा ही । प्रभु श्री विष्णु, रामावतार में विवाह प्रसंग के समय बड़े मनोभाव से भगवान गणेश पूजा करते हैं तो माता पार्वती एवं बाबा भोले नाथ ने भी अपने विवाह से पहले श्री गणेश की सर्वप्रथम पूजा-अर्चना की । मानव में सात चक्र होते हैं जिसमें सबसे प्रथम है- मूलाधार चक्र। इस मूलाधार चक्र को भी गणेश चक्र के नाम से खयाति प्राप्त है ।
मूलाधार चक्र को शक्ति व ज्ञान की गति का अधिष्ठान बताया गया है । ऐसा ही विलक्षण दर्शन गणेश के चरित्र से प्राप्त होता है । इसलिए अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक परंब्रह्म, असाधारण प्रतिभावान यह गणपति ही हैं, विष्णु महाकैटभ के संहार और ब्रह्मा सृष्टि के कार्य सिद्धि लिए गणेश उपासना यूं ही नहीं करते । वस्तुतः प्राचीन उपासना क्रम में पंच देवोपासना का निर्देश मिलता है । इस उपासना भेद में भी श्री गणेश को अपना स्थान प्राप्त हुआ है ।अतः यहां गणेश साधना के अनेक प्रयोग बताये जा रहे हैं जो जीवनोपयोगी हैं ।

गणेश पूजा साधना उपाय :

1. प्रातःकाल गणेश जी को श्वेत दूर्वा अर्पित करके घर से बाहर जायें । इससे आपको कार्यों में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी ।
2. घर के मुखय द्वार के ऊपर गणेश जी का चित्र या प्रतिमा इस प्रकार लगाएं कि उनका मुंह घर के भीतर की ओर रहे । इससे धन लाभ होगा।
3. गणपति को दूर्वा और मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाकर श्री लक्ष्मी के चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं कभी धनाभाव नहीं होगा ।
4. दुकान या व्ववसाय स्थल के उद्घाटन के समय चांदी की एक कटोरी में धनिया डालकर उसमें चांदी के लक्ष्मी गणेश की मूर्ति रख दें । फिर इस कटोरी को पूर्व दिशा में स्थापित करें । दुकान खोलते ही पांच अगरबत्ती से पूजन करने से व्यवसाय में उन्नति होती है ।
5. नित्य श्री गणेश पूजा करके उनके मंत्र ‘श्री गं गणपतये नमः’ का जप करने से सभी प्रकार की परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है ।
6. छात्रों को जो विषय कठिन लगता हो उस विषय की पुस्तक में गणेश जी का चित्र तथा दूर्वा रखने से वह विषय सरल लगने लगेगा ।
7. बुधवार का व्रत रखकर बुध स्तोत्र का पाठ करने से, गणेश जी को मूंग के लड्डू चढ़ाने से आजीविका की प्राप्ति शीघ्र होती है ।
8. रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र में श्वेत आक की जड़ लाकर उससे श्री गणेश जी की प्रतिमा बनायें । फिर उस पर सिंदूर और देशी घी के मिश्रण का लेप करके एक जनेऊ पहनाकर पूजा घर में स्थापित कर दें । तत्पश्चात इसके समक्ष श्री गणेश मंत्र की 11 माला का जप करें । आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी ।
9. बुधवार के दिन श्री गणेश पूजा करके गाय को घास खिलाने से सास के प्रति बहू का कटु व्यवहार दूर होता है ।
10. बुधवार के दिन श्री गणेश पूजा करने से बुध ग्रह के दोष दूर होते हैं ।
11. गणेश चतुर्थी के दिन से श्री गणेश स्तोत्र का पाठ शुरू करके भगवान से प्रार्थना करने पर पिता-पुत्र के संबंधों में मधुरता आती है ।
12. एक सुपारी पर मौली लपेटकर उसे गणपति के रूप में स्थापित कर तत्पश्चात उस गणेश पूजा करके घर से बाहर जायें । कार्यों में सफलता प्राप्त होगी ।
13. भगवान गणेश को नित्य प्रातःकाल लड्डू का भोग लगाने से धन लाभ का मार्ग प्रशस्त होता है ।
14. भगवान गणपति जी को बेसन के लड्डू का भोग लगाकर व्यवसाय स्थल पर जायें और कोई मीठा फल किसी मंदिर में चढ़ाएं । इससे धन-धान्य व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी ।
15. धनतेरस से दीपावली तक लगातार तीन दिन सायंकाल श्री गणेश स्तोत्र का पाठ और गणेश पूजा करके गाय को हरा चारा (सब्जी-साग आदि) खिलायें। बाधायें -रूकावटें दूर होंगी ।
16. परीक्षा देने से पूर्व श्री गणेश मंत्र का 108 बार जप करें और गणपति को सफेद दूर्वा चढ़ायें । परीक्षा में निश्चय ही सफलता मिलेगी ।
17. घर में गणेश जी के प्रतिमा के सामने नित्य गणेश पूजा करने से धन मान और सुख की प्राप्ति होती है ।
18. प्रातः काल गणपति जी मंत्र का 21 दिनों में सवा लाख बार जप करने से सभी मनोकामना पूर्ण होंगी । इसीलिए गणपत्यऽथर्वशीर्ष में कहा गया है कि श्री गणेश भगवान आप ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव हो । आप ही अग्नि, वायु, सूर्य, चंद्र हो । समस्त देवता, पंचतत्व, नवग्रह आदि सब कुछ आपका स्वरूप हैं । गणेश पुराण में वर्णित गणेशाष्टक को सिद्धि प्रदायक कहा गया है । निश्चित ही ऋद्धि-सिद्धि की सहजता से उपलब्धि गणेश तत्व से ही संभव है । ऋिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति कामनापूर्ति, संकटनाश, प्रेम प्राप्ति, मधुर दांपत्य जीवन, विघ्ननाश, आरोग्य आदि कोई भी ऐसी कामना नहीं है जो कि गणेश पूजा और गणेशकृपा से पूर्ण न हो ।

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