जन्म कुण्डली में स्थित शत्रु एवं रोग योग की विवेचन एवं फलादेश

जन्म कुण्डली में स्थित शत्रु एवं रोग योग की विवेचन एवं फलादेश :

जन्म कुण्डली में स्थित छठे भाव से किसी जातक के शत्रु एवं रोग का विवेचन ज्योतिषाचार्यों द्वारा किया जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जन्म कुण्डली के छठे भाव का फलादेश निम्न प्रकार से है –
♦ यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में अष्टमेश लग्न में स्थित हो तो, ऐसे जातक का शरीर रोगों से आक्रांत रहता है ।
♦ यदि जन्म कुण्डली में छठे भाव का स्वामी ग्रह लग्न में स्थित हो तो, ऐसे जातक को उसके ही परिजन एवं मित्रगण हानि व बाधा पहुँचाते हैं एवं ऐसा जातक रोगों से भी बाधित रहता है ।
♦ यदि जन्म कुण्डली में पहले एवं छठे भाव का स्वामी ग्रह, सूर्य ग्रह के साथ युग्म में हों, तो ऐसा जातक ज्वर रोग से पीडि़त रहने वाला होता है ।
♦ यदि जन्म कुण्डली में पहले एवं छठे भाव का स्वामी ग्रह, चन्द्रमा ग्रह के साथ युग्म में हों, तो ऐसे जातक को जल से भय रहता है ।
♦ यदि जन्म कुण्डली में पहले एवं छठे भाव का स्वामी ग्रह, मंगल ग्रह से किसी भी प्रकार से सम्बंधित हो, तो ऐसे जातक को शस्त्र से आघात, घाव, व्रण, ग्रन्थि सम्बंधित रोग व विकार एवं प्लेग आदि से ग्रसित होने का भय रहता है ।
♦ यदि जन्म कुण्डली में पहले एवं छठे भाव का स्वामी ग्रह, बुध ग्रह के साथ युग्म में हों, तो ऐसा जातक पित्त रोगी होता है ।
♦ यदि जन्म कुण्डली में पहले एवं छठे भाव का स्वामी ग्रह, बृहस्पति ग्रह के साथ, युग्म में हों, तो ऐसा जातक स्वस्थ काया वाला होता है, उसे सरलता से कोई रोग पकड़ नहीं पाता है ।
♦ यदि कुण्डली में पहले एवं छठे भाव का स्वामी ग्रह, शुक्र ग्रह के साथ युग्म में हों, तो ऐसा जातक अपनी स्त्री के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित रहने वाला होता है ।
♦ यदि कुण्डली में पहले एवं छठे भाव का स्वामी ग्रह, शनि ग्रह के साथ युग्म में हों, तो ऐसे जातक को चोरों एवं चाण्डालों से भय रहता है ।
♦ यदि कुण्डली में पहले एवं छठे भाव का स्वामी ग्रह, राहु अथवा केतु से किसी भी प्रकार से सम्बंधित हो, तो ऐसे जातक को सर्प, व्याघ्र आदि से भय रहता है ।
♦ यदि कुण्डली में छठे भाव का स्वामी ग्रह, किसी भी नीच अथवा पापी ग्रह के साथ बारहवें भाव में स्थित हो एवं लग्न का स्वामी ग्रह बलवान हो, तो ऐसे जातक का स्वास्थ्य उत्तम रहता है ।
♦ यदि कुण्डली में छठे भाव का स्वामी ग्रह, लग्न भाव के स्वामी ग्रह से कमजोर हो एवं छठे भाव के स्वामी ग्रह शुभ ग्रहों से सम्बंधित हो, तो ऐसे जातक के शत्रु भी उसके साथ मित्र भाव रखने वाले होते हैं ।
To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार: (M) 9438741641 /9937207157 (call/ whatsapp)

India's leading astrological service center with a proven track record of success. Our expert astrologers provide accurate predictions, effective remedies, and personalized guidance for a brighter future."

Sharing Is Caring:

Leave a Comment