धन संपति योग

Rate this post
जिसमें द्धितीय भाव आपकी पैतृक या स्थाई धन संपति योग को दर्शाता है वही नवम भाव भाग्य स्थान है अतः भाग्येश किस रूप में आपको अर्थ लाभ करता है, इसका अध्ययन नवम भाव से किया जाता है ।
दशम भाव यह दर्शाता है कि किस कार्य व्यवसाय से आपको धन प्राप्त होगा वही एकादश भाव आय प्राप्ति का स्वरूप निर्धारित करता है अर्थात आप की आय क्या होगी कितनी कब और कैसे होगी, वही द्वादश भाव व्यय स्थान है ।
यदि आय और व्यय में संतुलन स्थापित रहता है तो ही साधारण स्थिति आर्थिक दृष्टि से अच्छी मानी जा सकती है विशेष रूप से द्वितीय और एकादश भाव का स्वामी यदि 6, 8, 12 भाव में हो तो धन की हानि करते हैं और आर्थिक दशा अति सामान्य होती है ।
एकादश भाव से संबंधित मजेदार तथ्य यह है, कि यहां शुभ-अशुभ कोई भी ग्रह हानिकारक नहीं होता, वे शुभ या अशुभ माध्यमों में जातक को धन संपति योग दिलाते हैं ।
यदि एकादश भाव में शुभ ग्रह हो तो शुभ कार्य व्यवसाय और सहजता से उपलब्ध कराते है, इसके विपरीत अशुभ ग्रह रुक-रुककर अनैतिक तरीकों से अनियमित धन दिलाते हैं ।
दूसरे घर का मालिक यदि द्वादश भाव में हो तो जातक पैतृक धन को नष्ट कर देगा या उसे पैतृक धन मिलेगा ही नहीं या उसके कुटुंब के लोग धन को हड़प जाएंगे ।
द्वादश जन्मकुंडली में जिन ग्रहों के साथ होगा या द्वादश कि जिन ग्रहों और भाव पर दृष्टि होगी उनके कारकत्व के अनुसार वे धन संपति योग को नष्ट करदेता है ।
यदि द्वितीय और एकादशेश दोनों ही द्वादश भाव में हो तो वह जातक को निर्धन बना देंगे । क्योंकि जातक जो भी कमाता जाएगा खर्च होगा और धन संचित नहीं कर पाएगा पैतृक या चल-अचल संपत्ति भी अर्जित नहीं कर पाएगा ।
To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (Mob) – 9438741641 /9937207157 (Call/ Whatsapp)

Acharya Pradip Kumar is one of the best-known and renowned astrologers, known for his expertise in astrology and powerful tantra mantra remedies. His holistic approach and spiritual sadhana guide clients on journeys of self-discovery and empowerment, providing personalized support to find clarity and solutions to life's challenges.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment