पितृदोष शांति के सरल साधना :
पितृदोष शान्ति के सरल साधना का मतलब होता है की हम अपने पितृगणों के साथ किए गए किसी दोष या पापों को दूर करने केलिए आसन और कुछ नया तरीको का पालन करते हैं ।
पितृदोष के असर के बारे में धारणा है की कई बार हमारे पुर्बोजों के कर्मों का परिणाम हम पर आता है और हामारे जीबन में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है । इसे दूर करने केलिए , हम बिशेष रूप से प्रार्थना , पूजा , मंत्र जाप , दान और यज्ञं का आयोजन करते हैं ।
पितृ दोष शांति के सरल साधना में , ध्यान , आध्यात्मिक बिचार धारा के माध्यम से आत्मा के आध्यात्मिक बिकास का प्रयास भी शामिल होता है । यह आपके जीबन को आंतरिक शान्ति,सुख और समृद्धि की और ले जाता है ।
पितृदोष शान्ति के सरल साधना :
पित्रुदोष शान्ति के सरल साधना का उद्देश्य है की हम अपने पुर्बोजो के साथ संतुलन बनाय रखे , उनके कर्मों को मान्य करें और अपनी जीबन को एक नया दिशा में अग्रसर करे । इसके माध्यम से हम अपने आत्मा को साक्षात्कार कर सकते है और आत्म -समर्पण के माध्यम से आत्मा की शांति प्राप्त कर सकते हैं ।
यह पितृदोष शान्ति साधना किसी भी पूर्णिमा अथवा अमावस्या को करे या शनिवार को भी की जा सकती है. समय शाम का होगा सूर्यास्त के समय करे.
दिशा पूर्व हो. पीले वस्त्र धारण करे आसन पिला हो. सामने बजोट पर पिला कपडा बिछाये और उस पर गुरु चित्र स्थापित कर सामान्य पूजन करे फिर वही सामने एक शकर की ढ़ेरी बनाये,एक सफ़ेद तिल की बनाये और एक कटोरी में थोडा घी भी रखे.एक नारियल का गोला भी रखे .
अब ३० दिन तक बिना माला के {{ “ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” }} पितृदोष शान्ति मंत्र का जाप करे. फिर ३ माला गायत्री मंत्र की करे . अब गोले को थोडा सा काटकर उसमे ये तील,शकर और घी भर दे और गोले को फिर से बंद कर दे. ऊपर पुनः नारियल का जो गोला काटा था उससे ही बंद करे और आस पास गिले आटा लगा दे ताकि गोला खुले नहीं और इस गोले को जाकर किसी पीपल वृक्ष के निचे गाड दे और बिना पीछे मुड़े घर आ जाये. जाप के बाद सारे जाप पितरो को समर्पित कर दे. इस पितृदोष शान्ति साधना से पित्र तृप्त होते है और साधक को आशीर्वाद देते है.
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