* यदि कन्या के बाद पुत्र प्राप्ति कि कामना हो तो ये प्रयोग करें – उत्पन्न हुई कन्या का विदिवत पूजन करें । उसे नमस्कार करें और बन्धु – बांधवों को खीर एवं जलेबी का भोजन कराए । ऐसा करने से भविष्य में पुत्र प्राप्ति अवस्य होता हैं ।
* जिस स्त्री के पहली संतान लड़का हो, उस लड़के कि नाल जो नि: संतान स्त्री खोलती हैं, वह अवस्य ही पुत्र रत्न से विभूषित होगी ।
* पीपल का वृक्ष जिस शमी के उपर उग रहा हो, उस वृक्ष के नीचे जाकर पति – पत्नी दोनों अपनी मनोकामना प्रकट करते हुए वृक्ष का स्पर्श व् प्रणाम कर यह संकल्प करे कि ” गर्भाधान होने तथा पुंसवन के पश्चात जब पुत्ररत्न की प्राप्ति होगी, तब ‘मुंडन – संस्कार ‘ यहीं पर आक की छाया में बैठकर कराएगे । इस टोटके को करने से बंध्या स्त्री भी पुत्र – रत्न को प्राप्त कर लेती हैं ।
* पुष्य नक्षत्र में असगन्ध की जड़ को उखाड़कर गाय के दूध के साथ सिल पर पीसकर पीने से दूध का आहार, ऋतुकाल के उपरांत शुद्ध होने पर पीते रहने से, स्त्री की पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा अवस्य पूरण हो जाती हैं ।
* पलाश (टेशू) के पांच कोमल पत्ते किसी स्त्री के दूध में पीसे और जो बांझ स्त्री मासिक धर्म के चोथे दिन स्नान करके उसे खा लेगी, वह निश्चय हैं पुत्र की माता बनने का सोभाग्य प्राप्त करती हैं । ताकतवर और गोरे पुत्र के लिए गर्भवती स्त्री को पलाश के एक पत्ते को लेकर पीसकर गाय के दूध के साथ रोज पीना चाहिए ।
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जय माँ कामाख्या