प्रेतबाधा से ग्रसित होना भी पूर्बजन्म के संस्कारों से होता है :
पूर्बजन्म :लग्न कुंडली में गुरु कमजोर हो, आठ्बें, बारहबें हो तो पितर दोष । राहू बुध शनि इन स्थानों में हो तो प्रेत दोष होता है । लग्न, चतुर्थ, अष्टम द्वादश नबम भाब में पाप योग से प्रेत बाधा योग बनता है । पंचमेश, लग्नेश, भाग्येश यदि छठे आठ्बे हो तो शत्रु जनित अभिचार से पीड़ा प्राप्त होता है ।
पंचम, नबम एबं लाभ स्थान में पाप ग्रह तांत्रिक उपासना कराते है । गुरु मंगल, गुरु राहु योग से अनुष्ठान कर्म में त्रुष्टि होने से पीड़ा योग बनता है । मंगल राहू योग में भैरब उपासना द्वारा ही प्रेत उपद्र्ब से मुक्ति मिलेगी । देबि उपासना में भिन्न ग्रहों के योग भिन्न देबि साधना करने से लाभ मिलता है ।
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