प्राचीन टोटके से संबंधित जानकारी :

प्राचीन टोटके से संबंधित जानकारी :

प्राचीन टोटके विश्वास के अनुसार चमत्कारिक प्रभाव डालने की कला हैं, जो लोगों द्वारा विभिन्न मान्यताओं तथा धार्मिक विश्वासों के आधार पर आविष्कृत किए गए हैं ।

ये टोटके भगवान, पूजा-पाठ, व्रत, मन्त्र, तंत्र, रत्न, रुद्राक्ष, सिद्ध यन्त्र, तांत्रिक औषधियां और अन्य उपायों के रूप में होते हैं । ये टोटके लोगों को भक्ति, समृद्धि, स्वास्थ्य, सुख, शांति और सफलता की प्राप्ति में मदद करने का दावा करते हैं । कुछ लोग इन टोटकों का प्रयोग अभिशाप, वशीकरण या अन्य हानिकारक उद्देश्यों के लिए करते हैं, जो कि नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकते हैं ।

कुछ मान्यताओं के अनुसार, टोटके का प्रयोग शुभ मुहूर्त में पूरी विश्वास और समर्पण के साथ करना आवश्यक होता है। इन टोटकों को कुछ संस्कृत श्लोकों, मंत्रों या यन्त्रों के रूप में उपयोग किया जाता है जिनमें कार्यों को प्राप्त करने का उद्देश्य होता है । कृपया आप अपने स्थानीय धार्मिक गुरु, पंडित या ज्ञानी से संपर्क करके या सम्पूर्ण पूर्वाग्रह के साथ किसी टोटके का उपयोग करने की सलाह ले सकते हैं ।

१. गुरु प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : गुरुघर की कुच्छ , बाघ की पुच्छ ।
२. देब प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : गाय घर की माटी, पहला धान का साठी ।
३. सूर्यदेब प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : तामा की पतरी, पाणी की थर – थरी ।
४. चन्द्रदेब प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : काचा औलां, पक्यां स्बौला ।
५. मंगलदेब प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : लाल बुन्दी, माथा की बिन्दी ।
६. बुद्धदेब प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : मूँग की दाल, हरी शाल ।
७. बृहस्पति प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : चर्णों का साग, फिंगुल फाग ।
८. शुक्र प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : सफ़ेद तिल, खरगोंस का बिल ।
९. शनि प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : सरसों का तेल, नीम का छेल ।
१०. राहु प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : जिमीगंन्द एकला, द्वी टुकड़ा कर दाया ।
११. केतु प्रसन्नता के लिए प्राचीन टोटके : सतनाजा कठा करो, चौबाटा मा उसको धरो ।
१२. श्री नृसिंह प्रसन्नता के लिए : टेमरू का सोटा, नेपाली चिमटा ।
१३. श्री शिब प्रसन्नता के लिए : काली हींग, शिब कुलींग ।
१४. श्री भगबती प्रसन्नता के लिए : खाडू कू सींग, भैसा कु मुंड ।
१५. श्री लक्ष्मी प्रसन्नता के लिए : कच्ची फसल घर ल्या, पहली बीं चढे दाय ।
१६. श्री गणेश प्रसन्नता के लिए : अखरोट का चाना, चूहे का खाना ।
१७. श्री बिष्णु प्रसन्नता के लिए : चन्दन की छाली, तुलसी की डाली ।
१८. श्री ब्रह्मा प्रसन्नता के लिए : सफ़ेद धोती, कपाल माँ चोटी ।
१९. सर्बबाधा के लिए : बाघ की खाल, घोड़े की नाल ।
२०. दूध बढाने के लिए : तिल की खांड, भात कुमांड ।
२१. दरबाजे के लिए : भोज कू पतर, बांझा कूकतर ।
२२. सुख शान्ति के लिए : लाल चन्दन घर ला, घिस के रोज खोपड़ी ला ।
२३. धन बढाने के लिए : कमा के रोज जो ला, कन्या के हाथ उसे थमा ।
२४. भूख बढाने के लिए : पुदीना की चटनी ला, कोदा की रोटी खा ।
२५. भूख घटाने के लिए : दूध घी खूब पी, दारु माँस कर छी ।
२६. तन्दूरुस्ती के लिए : बुरांस का फूल ला, फल समझ के खायी जा ।
२७. खांसी ठीक के लिए : काचा पाका बेहडा ला, बाणी उबाल कर पीजा ।
२८. पीलिया ठीक के लिए : गत्रा की पीरो ला, रोज उसको चूसते जा ।
२९. नजर हटाने के लिए : साँप की कुच्छ, बिल्ली की पुच्छ ।
३०. बिष उतारने के लिए : सरसों का तेल, मिर्चो को फेर ।
३१. कटने पर आने के लिए : चूहे का कुत्र, स्वयं का मूत्र ।
३२. चोट लगने पर : लोहा घसा, लेप ला ।
३३. रिंगाल के काटने पर : पानी की खाटी, बल्मीकि माटी ।
३४. बच्चों के नजर पर : एक लाल धागा ला, गले में उसकों बाँधी डाल ।
३५. भूत भगाने के लिए : घी का खूब धुंआ ला, हनुमन्त का नाम ला ।
३६. मंत्र साधने के लिए : गैडी का म्बार, गुरु का घर ।
३७. मंत्र प्राप्ति के लिए : बाघ की खाल , ऊन की शाल ।
३८. कमर दर्द के लिए : गरम घी, रोज पी ।
३९. सिर दर्द के लिए : हल्दी पीस, घी को घीस ।
४०. बुखार के लिए : आदा ला, शहद माँ प्या ।
४१. कान दर्द के लिए : गर्म तेल, कान में उघेल ।
४२. नाक दर्द के लिए : थोडा कोसा हल्दी तेल, फिर नाक में दे उघेल ।
४३. दाढ़ दर्द के लिए : लोण मंत्र दांता नु कुतर ।
४४. शरीर दर्द के लिए : सुबह शाम कर ब्यायाम ।
४५. बबासीर के लिए : कुछ खा गम, मसाला कम ।
४६. रास्ता चलने के लिए : ॐ नमो चंडी माई, हनुमान क्या साथ नि आयी ।
४७. लड़ाई कराने के लिए : उल्लू की खाल, कागा की छाल ।
४८. बशीकरण के लिए : सात लौंग मंतरी दाय, अपणा हाथ न खेले दाय ।
४९. मारने के लिए : औसी को चाटी, शमशान की माटी ।
५०. ठीक करने के लिए : श्मशान में जा, उल्टी करके आ ।
५१. घर आने के लिए : माँ को तू याद कर, सिर उसके चरण धर ।
५२. परदेश जाने के लिए : दाई तरफ भांडी भर , प्रदेश कू नौ धर ।
५३. बिबाह के लिए : गौरी माई के दौऊ लाल , दोनों के हाथ लड्डू थाल ।
५४. नौकरी के लिए : नमो नम: लक्ष्मी माई , हमारी तू कर भलाई ।
५५. मुकदमा जीतने के लिए : सागर में पीली माई , जिसका नाम बगला माई ।
५६. घोर संकट के लिए : आजा मेरे भैरब भाई , तू है मेरा माई भाई ।
५७. बारात प्रस्थान के लिए : अम्बा पुत्र गंगू लाल, हमारे सारे बिघ्न टाल ।
५८. बारात बापस आने के लिए : कुलदेब तुझे दुहाई , बारात हमारी घर पौचाई ।
५९. झगडा टालने के लिए : राम लखन दोऊ भाई , उनसे कौन जीत पाई ।
६०. घोर बीमार पड़ने पर : जो शिब की शरण जाई , मृत्यु उसकी क्या कर पाई ।

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