कैसे करें भद्रकाली की रोग मुक्ति साधना ?

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कैसे करें भद्रकाली की रोग मुक्ति साधना ?

भद्रकाली जी प्रचंड शक्तियुक्त देवी मानी जाती है,उनका कोई भी साधना विधान कभी भी खाली नही जाता । अन्य साधनाओं में भले ही सफलता मिले या ना मिले परंतु काली जी के इस रूप के साधना में सफलता अवश्य ही मिलता है । जहां माँ भद्रकाली अपने बच्चो को ममतामयी नजरो से देखती है , ठीक उसी तरहां भक्तो के समस्त शत्रुओं को दंडित करती है ।
आज जो साधना दे रहा हू इससे समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ती प्राप्त होता है । जब तक शरीर रोगों से मुक्त ना हो जाए तब तक जीवन में सब कुछ होकर भी कुछ नही रहेता है । यह साधना विधान आपके समस्त रोगों का स्तंभन करने हेतु आवश्यक है, पहला सुख निरोगी काया -अर्थात स्वस्थ्य शरीर ही जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है और उसी से आप अन्य सुखों का उपभोग कर सकते हैं तथा साधना में आसन की दृढ़ता को प्राप्त कर सकते हैं ।
यह भद्रकाली साधना किसी भी शनिवार से शुरू करे,आसन और वस्त्र लाल रंग के हो,मंत्र जाप के समय उत्तर दिशा में हो,मंत्र जाप करने हेतु रुद्राक्ष का माला उत्तम है । साधना के समय गाय के घी का ही दीपक प्रज्वलित करे,धुपबत्ती कोई भी ले सकते है परंतु गुग्गल का धूपबत्ती जलाया जाये तो अतिउत्तम । यह साधना ग्यारह दिनों तक किया जाए तो आरोग्य प्राप्त होता रहेगा और रोगों से मुक्ति मिलता रहेगा । 11 माला जाप करने का विधान है परंतु आप आवश्यता नुसार 21, 51, 101 माला भी जाप कर सकते है । कोई रोगी व्यक्ति जाप ना कर सके तो किसी योग्य व्यक्ति से स्वयं के लिए जाप करवा सकते हैं ।

भद्रकाली मंत्र –

।। ॐ क्रीं क्रीं क्रीं भद्रकाली सर्वरोगबाधा स्तंभय स्तंभय स्वाहा ।।

11,21…..दिनों का साधना पूर्ण होने के बाद संभव होतो काले तिल और शुध्द घी से हवन में आहूति देना उचित होगा । हवन करना जरुरी नहीं है फिर भी साधक पूर्ण सिद्धि हेतु चाहे तो हवन कर सकता है ।
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