बिभिन्न भाबों में मंगल के फल :

बिभिन्न भाबों में मंगल के फल :

मंगल के फल कुण्डली के बारहबें भाबों में…

१. लग्न भाब में मंगल के फल होने से ब्यक्ति बाल्यकाल में पेट तथा दांतों का रोगी, दुर्बल, चंचल, देखने में आयु से छोटा लगने बाला, सुखों से बंचित, चुगली करने बाला तथा पाप कर्मों में रत रखता है ।

२. दुसरे भाब का मंगल के फल ब्यक्ति को जुआरी, सहिष्णु, धातु का ब्यापर करने बाला, ऋण द्वारा धनोपार्जन करने बाला दुबला शरीर तथा सुख का भागी बनाता है ।

३. तीसरा भाब का मंगल के फल भाइयों पर कष्टकारी होता है । यह मंगल के फल से ब्यक्ति दुर्बल शरीर तथा सुखभागी होते हैं । ऊँच का मंगल बिलासी बनाता है । नीच का अथबा बलहीन मंगल सुख तथा धन का हनन करता है ।

४. चौथे भाब का मंगल के फल परस्त्रीगामी, भ्रष्टबुद्धि, भ्रमणशील, कुलीन बर्ग के सानिध्य से बंचित तथा दुखी बनाता है ।

५. पांचबे घर का मंगल संतानसुख का बाधक है । यह दुःख देता है । यदि मंगल उच्च का अथबा बली हो तो संतान होती है परन्तु कृशकाय ।

६. मंगल यदि छठे भाब में हो तो योद्धा बनाता है । उच्च का मंगल यंहा धनसुख तथा नीच का मलिन ब पापाचारी बनाता है तथा दुर्घटना देता है ।

७. नीच का मंगल यंहा पत्नी सुख में बाधा उत्पन्न करता है । ब्यक्ति की पत्नी रुग्न रहती है । उच्च का मंगल चंचल तथा कुत्सित रूप बाली पत्नी देता है ।

८. नीच का मंगल अष्टम भाब में जलभय देता है । ऐसे ब्यक्ति के बिबाह में अनेक अडचनें उत्पन्न होती है ।

९. यंहा का मंगल रोगी बनाता है । यह दुर्भाग्य का द्द्योतक भी है । नबम भाब में मंगल बाले शिल्प बिद्या में अनुरक्त रहते हैं ।

१०. दसबें भाब का मंगल भूमिपति, शान्त, चितचोर तथा अपने कुल को जीतने बाला होता है ।

११. यंहा का मंगल क्रोध तथा पीड़ा से युक्त रखता है । परन्तु उच्चराशि का मंगल यँहा धनबान, सौभाग्यशाली तेजस्वी तथा पुण्य कामना बाला बनाता है ।

१२. बारहबें भाब में मंगल की स्थिति ब्यक्ति को चंचल, हास्यपद, सुखी तथा परस्त्रीगामी बनाता है ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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