दु:ख दारिद्रता निबारक चमत्कारी मेलडी अष्टकम् :
।। मेलडी अष्टकम्।।
भं भक्तों की औझाओं रखबाली करें माई मेलडी।
गं गरीब की सहायक माता है मेलडी।
दुं दुर्बल को दु:ख भंजनी माता मेलडी।
आ आबंत धाबंत आबे माता मेलडी।
लं लटके मटके आबे माता मेलडी।
जुं जृम्भिणी झुटिली माता मेलडी।
क्रीं कष्ट कंत्री कारण प्रिय माता मेलडी।
रं रमती झूमती झट आबे माता मेलडी।
मेलडी अष्टकम् बिधि : इस अष्टक से अपने घर परिबार में आने बाली समस्या का निबारण होता है और दु:ख दरिद्रता कलह एबं सर्ब बाधा का नाश होता है । जिन साधकों के घर में गरीबी, दरिद्रता, दु:ख, संकट और बाधा पीछा नहीं छोडती हो अनके लिये यह मेलडी अष्टकम् लाभदायक माता जाता है अर्थात् इस मेलडी अष्टकम् का जिस घर में गुणगान किया जायेगा उसके घर में कभी बाधा, रोग, कलह और दरिद्र का बास नहीं होता माता मेलडी उस परिबार को हरेक बाधा और संकट से बचाती है और सदा भक्त के परिबार की रख्या करती है जो साधक नियमित रूप से मेलडी अष्टकम् का पठन किया करते है । उनके लिये माता मेलडी सदा अपनी कृपा बनाये रखती है और जिस पर माई की कृपा हो उसका भला कोई बिगड सकता है कयोंकी माता मेलडी ना स्वयं कालो से परे है एबं आद्याशक्ति परमेश्वरी का ही अबतार है । इसकी इछा के बिना अपने भक्त का कोई भी कुछ नहीं बिगाड सकता । साधकों इस मेलडी अष्टकम् को चैत्री नबरात्रि में या अशिवनी नबरात्रि में नौ दिन नियमपूर्बक पठन किया जाये तो माता की असीम कृपा प्राप्त होती है । अगर इसको शुक्ल पख्य की अष्टमी से आरम्भ करके प्रतिदिन सुबह और रात्रि के समय धूप दीप जलाकर 41 दिन या सबा तीन महीने तक जाप किया जाये तो माता प्रसन्न होकर साधक के सभी संकटों का अन्त देती है । इसका पठन करते समय आगे कुछ महत्व पूर्ण नियमों का पालन करना अनिबार्य है ।
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जय माँ कामाख्या