योनि संकोचन मंत्र

मंत्र : “ हे माता डाकिनी काम शक्ति दायिनी ।
भैरबनाथ-प्रिया काम नाडी बाहिनी ।
योनि द्वार रखिका, महाश्क्ति कालिका ।
शक्ति दिखा मालिका, बना मुझे बालिका ।
ओम क्रं क्रं क्रं क्रां लिं फट् स्वाहा।”
इस योनि संकोचन मंत्र की आज की युबतियों को बहुत आबश्यकता है । बिबाह पूर्ब यौनाचार और गर्भपात आज की प्रब्रूति बन गयी है । बिबाह अधिक उम्र में होता है । इससे कामज्वाला का नियन्त्रण असम्भब हो जाता है । यौनाचार या अन्य यौन कारणों से योनि में फैलाब आ जाता है ।
 
इससे बे प्रथम रात्रि ही पति की दृष्टि में हीन हो जाती है और कलह, विद्वेष, घृणा, निराशा, दाम्प्त्य जीबन का सत्यानाश कर देती है ।
 
इस योनि संकोचन मंत्र की क्रिया करने पर 41 दिन में योनि कसाब और योनि छिद्र कुंबारी कन्या की भांति हो जाति है ।
 
भांग के बीज,पीपर, सौंठ और कुम्हार के चाक की मिट्टी को सिद्ध करबा लें । इसे काले कपडे में लपेटकर बबूल की जड में दबा दें एक हपते तक रात्रि में सोते समय मंत्र जाप करते रहें । इसके बाद इसे ले आयें । यह कार्य शनिबार को करें । बबूल की छाल (उसी पेड का) भी लायें ।
 
इस छाल का रस कपडे से निचोडें । भांग के बीज, पीपर, सौंठ को कूट-पीसकर छान लें । इसमें दो गुणा कुम्हार के चाक की मिट्टी मिलायें । इस मिश्रण को बबूल की छाल के रस में लेप बनाकर 21 रात सोते समय योनि पर लगाये और सुख जाने पर ही सोयें । योनि में इस मिश्रण को पोटली में बांधकर डालें ।

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जय माँ कामाख्या

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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