बिभिन्न भाबों में शनि का प्रभाब :
शनि का प्रभाब…
१. प्रथम भाब में शनि का प्रभाब सेब्यक्ति को कामी, दरिद्र तथा कुरूप बनाता है । परन्तु शुभ राशि में अथबा बलबान हो तो रूप, धन तथा गुणसंम्पन्न बनाता है ।
२. द्वित्तीय भाब के शनि का प्रभाब से ब्यक्ति को उनके माता तथा भाईयों से बियोग करबाता है । परन्तु धन सम्बन्धी बिषयों के लिए शनि यँहा शुभ है ।
३. तृतीय भाबगत शनि का प्रभाब ब्यक्ति को बुद्धि, साहस तथा स्वास्थ्य देता है । यँहा शनि भाई – बहनों से मतभेद कराबाता है ।
४. चतुर्थ भाब में शनि का प्रभाब से आदमी को रोगी, दुखी तथा मानसिक संत्रास देने बाली सिद्ध होती है ।
५. पंचम भाब का शनि का प्रभाब से ब्यक्ति को आलसी, चंचल तथा भ्रमणशील बनाता है । यह प्राय: उदर रोगी होते है ।
६. षष्टम् भाब में शनि साहसी बनाता है । परन्तु स्वास्थ्य तथा मातृसुख के लिए यह स्थिति प्रतिकूल है ।
७. सप्तम भाब का शनि कामी तथा नीच कर्मो में लिप्त रखता है । ब्यक्ति का बिबाह बिलम्ब से करबाता है ।
८. अष्टम में शनि गुप्त रोग देता है । यह दीर्घायु देता है तथा दुर्घटना का कारक है ।
९. नबम भाब में शनि बलबान तथा संत प्रबृति का बनाता है । भ्रात सुख से यह शनि बंचित रखता है ।
१०. दशम भाब गत शनि राजसुख, भाग्य तथा पितृसुख से परिपूर्ण रखता है परन्तु जीबन साथी से मानसिक संत्रास दिलबाता है ।
११. एकादश भाब में शनि होने से ब्यक्ति स्वास्थ्य तथा बुद्धि का धनी होता है । परन्तु यँहा शनि मातृ, पत्नी, उदर रोग आदि से कष्ट देता है ।
१२. द्वादश भाब में शनि की स्थिति नेत्र रोग, आलस्य, शत्रुभय, कलेश देता है । ऐसे ब्यक्ति अपनी भाषा –ब्यबहार से सदैब कष्ट उठाते हैं ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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