सिद्ध मोहन मन्त्र प्रयोग !!!
क॰ “ॐ अं आं इं ईं उं ऊं हूँ फट्।”
सिद्ध मोहन मन्त्र विधिः- ताम्बूल को उक्त सिद्ध मोहन मन्त्र से अभिमन्त्रित कर साध्या को खिलाने से उसे खिलानेवाले के ऊपर मोहन उत्पन्न होता है ।
ख॰सिद्ध मोहन मन्त्र :“ॐ नमो भगवती पाद-पङ्कज परागेभ्यः।”
ग॰ सिद्ध मोहन मन्त्र :“ॐ भीं क्षां भीं मोहय मोहय।”
विधिः- किसी पर्व काल में १२५ माला अथवा १२,५०० बार सिद्ध मोहन मन्त्र का जप कर सिद्ध कर लेना चाहिए । बाद में प्रयोग के समय किसी भी एक मन्त्र को तीन बार जप करने से आस-पास के व्यक्ति मोहित होते हैं ।
२॰ श्री कामदेव मन्त्र (मोहन करने का अमोघ शस्त्र) :“ॐ नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय सर्व-जन-सम्मोहनाय ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद, तप-तप, सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कुरु-कुरु स्वाहा।”
विधिः- उक्त सिद्ध मोहन मन्त्र का २१,००० जप करने से मन्त्र सिद्ध होता है । तद्दशांश हवन-तर्पण-मार्जन-ब्रह्मभोज करे। बाद में नित्य कम-से-कम एक माला जप करे । इससे मन्त्र में चैतन्यता होगी और शुभ परिणाम मिलेंगे। प्रयोग हेतु फल, फूल, पान कोई भी खाने-पीने की चीज उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर साध्य को दे। उक्त मन्त्र द्वारा साधक का बैरी भी मोहित होता है। यदि साधक शत्रु को लक्ष्य में रखकर नित्य ७ दिनों तक ३००० बार जप करे, तो उसका मोहन अवश्य होता है।
३॰ दृष्टि सिद्ध मोहन मन्त्र :
“ॐ नमो भगवति, पुर-पुर वेशनि, सर्व-जगत-भयंकरि ह्रीं ह्रैं, ॐ रां रां रां क्लीं वालौ सः चव काम-बाण, सर्व-श्री समस्त नर-नारीणां मम वश्यं आनय आनय स्वाहा।”
विधिः- किसी भी सिद्ध योग में उक्त मन्त्र का १०००० जप करे। बाद में साधक अपने मुहँ पर हाथ फेरते हुए उक्त मन्त्र को १५ बार जपे। इससे साधक को सभी लोग मान-सम्मान से देखेंगे।
४॰ तेल अथवा इत्र से मोहन :
क॰ “ॐ मोहना रानी-मोहना रानी चली सैर को, सिर पर धर तेल की दोहनी। जल मोहूँ थल मोहूँ, मोहूँ सब संसार। मोहना रानी पलँग चढ़ बैठी, मोह रहा दरबार। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। दुहाई गौरा-पार्वती की, दुहाई बजरंग बली की।”
ख॰ “ॐ नमो मोहना रानी पलँग चढ़ बैठी, मोह रहा दरबार। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति। दुहाई लोना चमारी की, दुहाई गौरा-पार्वती की। दुहाई बजरंग बली की।”
विधिः- ‘दीपावली’ की रात में स्नानादिक कर पहले से स्वच्छ कमरे में ‘दीपक’ जलाए । सुगन्धबाला तेल या इत्र तैयार रखे । लोबान की धूनी दे । दीपक के पास पुष्प, मिठाई, इत्र इत्यादि रखकर दोनों में से किसी भी एक सिद्ध मोहन मन्त्र का २२ माला ‘जप’ करे । फिर लोबान की ७ आहुतियाँ मन्त्रोचार-सहित दे । इस प्रकार मन्त्र सिद्ध होगा तथा तेल या इत्र प्रभावशाली बन जाएगा । बाद में जब आवश्यकता हो, तब तेल या इत्र को ७ बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर स्वयं लगाए । ऐसा कर साधक जहाँ भी जाता है, वहाँ लोग उससे मोहित होते हैं । साधक को सूझ-बूझ से व्यवहार करना चाहिए । मन चाहे कार्य अवश्य पूरे होंगे ।
To know more about Tantra & Astrological services, please feel free to Contact Us :
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार 9438741641 (call/ whatsapp)