स्वप्न सिद्धि तंत्र साधना :
स्वप्न सिद्धि तंत्र : सपना एक ऐसा शब्द है जिसके बारे प्रत्येक इंसान जानना चाहता है । हर व्यक्ति सपना देखता है मगर बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं । प्राचीन काल से ही इसके रहस्य को जानने की चेष्टा की जाती रही है । ऋषि मुनियों से लेकर बड़े-बड़े मनोवैज्ञानिक तक इसकी गुत्थी सुलझाते रहे लेकिन आज भी यह नहीं कहा जा सकता कि इसे पूरी तरह समझ लिया गया है । समान्यतया यह माना जाता है कि दिन भर आप जिस मनः स्थिति में होते हैं, रात में वही स्वप्न में दिखता है । परंतु यह एक सतही बात हुई । लगभग सभी धर्मों में स्वप्न को भविष्य के प्रति एक संकेत माना गया है ।
अर्थात ऐसी कोई शक्ति है जो स्वप्न में आकर संकेत देती है कि आने वाले समय में आपके साथ यह होने वाला है । बेबीलोनिया का एक प्राचीन ग्रंथ है ,एपीक ऑफ गिलगामेश’ । यह एक महाकाव्य है । इसमे एक घटना का उल्लेख है कि गिलगामेश नामक नायक ने एक सपना देखा कि आकाश से एक बड़ी कुल्हाड़ी गिरी । लोग इसे दैवी चमत्कार मानकर उसके इर्द-गिर्द खड़े हो जाते हैं । परंतु गिलगामेश ने उस कुल्हाड़ी को उठाकर अपनी माँ के सामने फेंक दिया । पुनः उसे उठाकर गले लगा लिया । वह इस स्वप्न का अर्थ नहीं समझ पा रहा था । उसकी माँ निनसून ने इसका समाधान करते हुए कहा कि जल्दी ही कोई शक्ति सम्पन्न व्यक्ति तुम्हारे जीवन में आएगा । तुम्हारा उसके साथ संघर्ष होगा । बाद में वह तुम्हारा मित्र बनेगा । तुमने उसे पत्नी की तरह गले लगाया इसलिए वह तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ेगा ।
अभिप्राय यह कि दुनिया भर में सपनों की अलग-अलग व्याख्या होती रही है । इससे आध्यात्मिक क्षेत्र भी अछूता नहीं है । भारतीय धर्मग्रंथो में स्वपनेश्वरी देवी का उल्लेख है । इनकी स्वप्न सिद्धि तंत्र साधना से इंसान अपने भावी जीवन के बारे में बहुत कुछ जान सकता है । यदि भविष्य के बारे में तनिक भी संकेत मिल जाए तो निर्णय लेना सरल हो जाता है । इसलिए कोई भी व्यक्ति इनकी स्वप्न सिद्धि तंत्र साधना कर सकता है ।
स्वपनेश्वरी देवी साधना :
भारतीय तंत्र शास्त्र में शिव को स्वप्न देवता अर्थात स्वपनेश्वर और उनकी शक्ति देवी पार्वती को स्वपनेश्वरी कहा गया है । ग्रंथो में देवी की छवि का वर्णन इस प्रकार है – वह श्वेत वसना, परम सौम्या, कान्तिवती तथा श्वेत आभा से युक्त हैं ।
यदि जीवन में ऊहापोह की स्थिति हो, निर्णय लेने में दुविधा हो रही हो तो उचित निर्णय के मार्गदर्शन हेतु यह स्वप्न सिद्धि तंत्र साधना की जा सकती है ।इस स्वप्न सिद्धि तंत्र साधना के लिए प्रथमतः रात अथवा दोपहर के समय अथवा ऐसा समय जिसमे आप आराम से सो सकें । स्नान कर के साफ-स्वच्छ वस्त्र पहन लें । अब साफ धुले बिस्तर पर बैठ जाएँ । किसी कागज पर अपनी समस्या लिखें । निर्णय लेने मे क्यों दुविधा हो रही है यह भी लिखें । अब निम्नलिखित मंत्र का जाप करना प्रारम्भ करें –
“ देवी स्वपनेश्वरी नमस्तूभ्यं फलाय-वरदाय-च । मम सिद्धि-असिद्धि वा स्वपनये सर्वं प्रदर्शयेत । । ”
स्वनेश्वरी देवी का मन ही मन ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप तब तक करें जब तक नींद ना आ जाए । यद्यपि जाप हेतु संख्या महत्वपूर्ण होती है इसलिए कम से कम 551 अथवा 1100 अवश्य करें । जाप की स्थिति में अपनी कामना को किसी अन्य ऊर्जा जोड़ने के बाद साधक एकाग्रता की चरम पर पहुँच जाता है । जिसके पहले सोपान में योग निद्रा आती है । किसी भी ध्यान की अवस्था में योगनिद्रा पहली सीढ़ी है । इस नींद से जागने पर अद्भुत ताजगी का एहसास होता है । जब साधक इस सोपान से ऊपर उठता है तब उसे स्वप्न सिद्धि तंत्र सिद्धि प्राप्त होती है । परंतु स्वपनेश्वरी देवी की साधना हेतु आपको इसी सोपान पर रुकना है । देवी से आदेश प्राप्त करना है कि मैं आगे क्या करूँ । इसी अवस्था में स्वप्न के माध्यम से देवी संकेत देती हैं । ऐसा निरंतर 21 दिन तक करें । उसके अगले दिन कुँवारी कन्या को भोजन करवाएँ तथा दक्षिणा देकर विदा करें । संभव है इसके बाद भी आपको किसी प्रकार का स्वप्न न आए अथवा नींद में बे सिरपैर की चीजें दिखें । ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप सायास स्वप्न देखना चाहते हैं । और ऐसा किसी प्रकार संभव नहीं है । परंतु इससे हताश होने की जरुरत नहीं है । पहले दिन की भांति जाप करते रहें । निरंतर अभ्यास से यह स्वप्न सिद्धि तंत्र सिद्धि प्राप्त हो जाती है । इसके लिए कुछ सावधानी आवश्यक है –
आपके कपड़े, बिस्तर की चादर, कक्ष साफ सुथरे हों ।
भोजन के कम से कम एक घंटे बाद यह साधना करें क्योंकि कई बार गैस, अपच अथवा भरे पेट के कारण डरावने स्वप्न आते हैं । ऐसे में सही संकेत समझना कठिन हो जाएगा ।
सोने से पूर्व हाथ-मुंह धो लें । अक्सर परिवार के बड़े-बूढ़े कहते हैं सोने से पहले पैर धो लो । इसके पीछे कारण यह है कि गंदगी अपने साथ नकारात्मक ऊर्जा को भी आकर्षित करती है । बुरी आत्माएँ गंदगी की तलाश में रहती हैं । इसलिए यह अपनी दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए ।
जब समस्या समाधान हेतु स्वप्न सिद्धि तंत्र साधना करें तो अकेले सोने का प्रयास करें ।
एक ही बार स्वप्न आए तो उसे संकेत न समझकर बार-बार स्वप्न सिद्धि तंत्र क्रिया करें । यदि निरंतर एक ही सपना आए तो उसका उचित विश्लेषण करें ।
इस स्वप्न सिद्धि तंत्र विधि के द्वारा नौकरी, पदोन्नति, विवाह, कर्ज से छुटकारा जैसी समस्या के साथ-साथ मनोवांछित विवाह आदि के लिए भी साधना किया जा सकता है ।
ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार- 9438741641 (call/whatsapp)