गुरु ग्रह

गुरु ग्रह :

गुरु ग्रह सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है । गुरु ग्रह का यंत्र बनबाकर इसे पूजा कक्ष में स्थापित कर दें । इस यंत्र की प्रतिदिन पूजा करने से पति –पत्नी के संबध मधुर होते हैं । गुरु एक राशि में 13 महीने यानी एक साल एक महीने रहता है । गुरु को ग्रहों के मंत्री का पद प्राप्त है । गुरु कर्क राशि में उच्च का और मकर राशि में नीच का होता है । गुरु के लिए शत्रु ग्रह बुध और शुक्र है । शनि इसके लिए सम है । सूर्य, चंद्र और मंगल से इसकी मित्रता है । गुरु, पुत्र, पति, प्रसन्नता और बिद्वान का कारक होता है । गुरु का रंग पीला और स्वामी इन्द्र है । गुरु का वर्ण ब्राह्मण है । गुरु पुरुष ग्रह है जिसमें सत्व गुण पाया जाता है ।

गुरु अच्छा हो तो क्या –
कुंडली में गुरु ग्रह अच्छा हो तो बैबाहिक जीबन सुखमय गुजरता है । गुरु अच्छा हो तो प्रोफ़ेसर, गजटेड अधिकारी का पद मिलता है । जीबन में खुशहाली आती है ।

गुरु खराब हो तो क्या –
कुंडली में गुरु खराब हो तो बैबाहिक जीबन में काफी दिक्कत आती हैं । पूजा पाठ में मन नहीं लगता और सभी कार्यो में बाधा आने लगती है ।

खराब गुरु को कैसे ठीक करे –
कुंडली में खराब गुरु को ठीक करने के लिए लगातार 21 गुरुबार केले के पौधे में तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं । इस जल में थोड़ी सी चनादाल भी मिला लें । इसके अलाबा गुरुबार के दिन शाम को 6 बजे के आसपास चने की दाल, पीला कपडा, घी, शहद और शक्कर का दान करना चाहिए ।

गुरु का जाप –
गुरु के लिए 19000 जाप होता है । पर कलियुग में इसे 4 गुना यानी 76000 जाप कराएं तभी फल मिलेगा ।

गुरु का शात्रोक्त मंत्र : “ॐ बृहस्पतयै नम:”
तंत्रोक्त या बीज मंत्र – “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुबे नम:”

गुरु की महादशा – गुरु की महादशा 16 साल चलती है ।
बिशेष – गुरु 10 डिग्री से 20 डिग्री में फल देता है ।

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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

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