साधक को कौए का एक पंख प्राप्त करना चाहिए । फिर साधक शनिवार की रात्री में उस पंख पर सिन्दूर से शत्रु का नाम लिखे तथा निम्न मन्त्र का १०८ बार पाठ करे । इसके लिए कोई भी माला की ज़रूरत नहीं है । साधक का मुख दक्षिण दिशा की तरफ होना चाहिए, वस्त्र आसन आदि का विधान नहीं है ।
शत्रु स्तम्भन प्रयोग मन्त्र : “ ॐ क्रीं शत्रु उच्चाटय उच्चाटय फट् ”
इसके बाद साधक उस पंख को ले जा कर स्मशान में जला दे या स्मशान के किनारे जला दे तथा घर आ कर स्नान कर ले । इस प्रकार करने से साधक के शत्रु का स्तम्भन होता है तथा शत्रु भविष्य में उसे परेशान नहीं करता ।
सम्पर्क करे (मो.) 9937207157/ 9438741641 {Call / Whatsapp}
जय माँ कामाख्या