विद्वेषण तंत्र (Vidweshan Tantra) के षट्कर्म में से एक कर्म है । जब दो लोग आपस में मिल कर किसी को कष्ट दे रहे हों या दो लोगों में ऐसा लगाव हो की बहुतों को कष्ट हो रहा हो ,अथवा सामाजिक या पारिवारिक विघटन ,विक्षोभ उत्पन्न हो रहा हो । दो लोगों की नजदीकी किसी परिवार को तोड़ रही हो ,दो लोगों की नजदीकी किसी परिवार की मर्यादा ,सम्मान बिगाड़ रही हो । कुछ लोग आपस में मिलकर किसी को पीड़ित कर रहे हों । पीड़ित व्यक्ति अथवा परिवार कमजोर हो ,असहाय हो ,कुछ न कर पा रहा हो और उन दोनों को अलग कर देने से समस्या सुलझ सकती हो तो वहां विद्वेषण प्रयोग (Vidweshan Tantra Prayog) किया जा सकता है अर्थात वहां दोनों को अलग करने के टोटके किये जा सकते हैं । अति आवश्यक होने पर इन विद्वेषण तंत्र प्रयोग (Vidweshan Tantra Prayog) योग्य ज्ञानी के परामर्श से किया जा सकता है ।
१. हाथी व शेर के दांतों का चूरा मक्खन में मिश्रित कर होम करने से विद्वेषण होता है । [ इस विद्वेषण तंत्र (Vidweshan Tantra) में मंत्र की जरूरत होती है ,किन्तु दुरुपयोग भय से हम मंत्र नहीं दे सकते ] । ,इसी तरह घोड़े व भैंसे के केशों की जिनके नाम से सभा के मध्य में धुप आये तो उनमे विद्वेषण होता है ,अर्थात आपस में विरोध उत्पन्न हो जाता है ।
२. चिता की राख में नेवले व नाग के दाँतों का चूरा मिलाकार दो पुतले बनाएं और जिनमे विद्वेषण तंत्र (Vidweshan Tantra) कराना हो उनके नाम से प्राण प्रतिष्ठा कर अभिमंत्रित कर दोनों पुतलों को पृथक पृथक किसी बाग़ में दबाने से दोनों में विद्वेषण होता है । इस प्रक्रिया में वुडू जैसी थोड़ी क्रिया सम्मिलित है ।
३. हाथी व शेर के बाल तथा शत्रु के पैर की मिटटी को भूमि में दबाकर उस पर अग्नि प्रज्वलित कर मालती के पुष्पों से होम करने से शत्रु का निश्चित ही विद्वेषण होता है ।
४. कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात कौवे के घोंसले से गिरे हुए पंख लायें और अमावस की रात को उल्लू के घोंसले से कुछ पंख बटोर लायें । पूर्णिमा की आधी रात को दोनों के पंखों को बबूल और नीम की सूखी लकड़ियों में जलाकर भष्म तैयार कर अपने पास रख लें । जब किन्ही दो लोगों में शत्रुता करानी हो तो शनी या मंगल के दिन भष्म को दोनों के सर पर थोडा -थोडा छिडक दें । यह विद्वेषण तंत्र प्रयोग (Vidweshan Tantra Prayog) सामान्य लोगों के लिए मुश्किल है किन्तु तांत्रिक इनका प्रयोग करते हैं ।
५. यदि किन्ही दो व्यक्तियों में आजन्म शत्रुता पैदा करनी हो तो उनके पैरों के नीचे की मिटटी को मिलाकर दो पुतले बनाएं । फिर श्मशान भूमि में उनके नामों से अभिमंत्रित -प्रतिष्ठित कर अलग अलग रख देने से विद्वेषण होता है ।
६. भैंसे का गोबर और घोड़े की लीद को गो मूत्र में घोलकर ,लेप सा बना ,दो कच्ची ठीकरीयों पर उन दोनों व्यक्तियों के नाम लिखें ,जिनमे झगड़ा कराना हो । सूखने तक ही उनमे झगड़ा शुरू हो जाएगा ।
ध्यान दे :
किसी भी टोटके को करने से पूर्व उसके बारे में गुरु से अनुमति ले लें । हम पूरी विद्वेषण तंत्र क्रिया नहीं दे सकते , क्योंकि इससे किसी का बेवजह अहित भी हो सकता है । इन प्रयोगों का गलत प्रयोग करने वाले अक्सर बुरे परिणाम इसलिए पाते हैं की पृथ्वी की नैसर्गिक शक्तियाँ उनके विरुद्ध हो जाती हैं और किसी भी गलती पर तुरंत गंभीर परिणाम क्रिया करने वाले को ही दे देती हैं । अतः पहले खूब सोचें ,फिर कुछ करें ।
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जय माँ कामाख्या