मेनका अप्सरा साधना कैसे करें ?

Menka Apsara Sadhana Kaise Kare ?

शास्त्रों के अनुसार देवराज इंद्र के स्वर्ग में 11 अप्सराएं मुख्य रूप से बताई गई हैं। इन सभी अप्सराओं का रूप बहुत ही सुंदर बताया गया है। ये 11 अप्सराएं हैं- कृतस्थली, पुंजिकस्थला, मेनका, मेनका , प्रम्लोचा, अनुम्लोचा, घृताची, वर्चा, उर्वशी, पूर्वचित्ति और तिलोत्मा। वेद-पुराण में कई स्थानों में इन अप्सराओं के नाम आए हैं, जहां इन्होंने घोर तपस्या में लीन भक्तों के तप को भी भंग कर दिया।
नारायण की जंघा से मेनका अप्सरा की उत्पत्ति मानी जाती है। पद्म पुराण के अनुसार कामदेव के ऊरू से इसका जन्म हुआ था। श्रीमद्भागवत के अनुसार मेनका अप्सरा स्वर्ग की सर्वसुन्दर अप्सरा थी। शास्त्रों में कई स्थानों पर अप्सराओं का उल्लेख आता है।
साधक स्नान कर ले अगर नही भी कर सको तो हाथ-मुहँ अच्छी तरह धौकर, धुले वस्त्र पहनकर, रात मे ठीक 10 बजे के बाद मेनका अप्सरा साधना (Menka Apsara Sadhana) शुरु करें। रोज़ दिन मे एक बार स्नान करना जरुरी है।

Menka Apsara Sadhana Vidhi :

पूजन (Menka Apsara Sadhana) के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके बैठ जाएं। पूजन सामग्री अपने पास रख लें। बायें हाथ मे जल लेकर, उसे दाहिने हाथ से ढ़क लें। मंत्रोच्चारण के साथ जल को सिर, शरीर और पूजन सामग्री पर छिड़क लें या पुष्प से अपने को जल से छिडके।
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
(निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए शिखा/ चोटी को गांठ लगाये / स्पर्श करे)
ॐ चिद्रूपिणि महामाये! दिव्यतेजःसमन्विते।तिष्ठ देवि ! शिखामध्ये तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥
(अपने माथे पर कुंकुम या चन्दन का तिलक करें)
ॐ चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम्। आपदां हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥
(अपने सीधे हाथ से आसन का कोना जल/ कुम्कुम थोडा डाल दे) और कहे
ॐ पृथ्वी ! त्वया धृता लोका देवि ! त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि ! पवित्रं कुरु चासनम्॥
Menka Apsara Sadhana Sankalp : 
दाहिने हाथ मे जल ले। मैं ……..अमुक……… गोत्र मे जन्मा,……… ………. यहाँ आपके पिता का नाम………. ……… का पुत्र ………………………..यहाँ आपका नाम…………………, निवासी…………………..आपका पता………………………. आज सभी देवी-देव्ताओं को साक्षी मानते हुए देवी मेनका अप्सरा (Menka Apsara Sadhana) की पुजा , गण्पति और गुरु जी की पुजा देवी मेनका अप्सरा के साक्षात दर्शन की अभिलाषा और प्रेमिका रुप मे प्राप्ति के लिए कर रहा हूँ जिससे देवी मेनका अप्सरा प्रसन्न होकर दर्शन दे और मेरी आज्ञा का पालन करती रहें साथ ही साथ मुझे प्रेम, धन धान्य और सुख प्रदान करें। जल और सामग्री को छोड़ दे।
गणपति का पूजन करें।
ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात पर ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥ ॐ श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः। ॐ श्री गुरवे नमः। आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।
गुरु पुजन कर लें कम से कम गुरु मंत्र की चार माला करें या जैसा आपके गुरु का आदेश हो।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयंबके गौरी नारायणि नमोअस्तुते ॐ श्री गायत्र्यै नमः। ॐ सिद्धि बुद्धिसहिताय श्रीमन्महागणाधि पतये नमः। ॐ लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः। ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः। ॐ वाणीहिरण्यगर्भाभ्यां नमः। ॐ शचीपुरन्दराभ्यां नमः। ॐ सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः। ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः। ॐ भ्रं भैरवाय नमः का 21 बार जप कर ले।
अब अप्सरा का ध्यान करें और सोचे की वो आपके सामने हैं। दोनो हाथो को मिलाकर और फैलाकर कुछ नमाज पढने की तरफ बना लो। साथ ही साथ
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं मेनका अप्सरा आगच्छ आगच्छ स्वाहा”
मंत्र का 21 बार उचारण करते हुए एक एक गुलाब थाली मे चढाते जाये।
अब सोचो कि अप्सरा आ चुकी हैं। हे सुन्दरी तुम तीनो लोकों को मोहने वाली हो तुम्हारी देह गोरे गोरे रंग के कारण अतयंत चमकती हुई हैं । तुम नें अनेको अनोखे अनोखे गहने पहने हुये और बहुत ही सुन्दर और अनोखे वस्त्र को पहना हुआ हैं। आप जैसी सुन्दरी अपने साधक की समस्त मनोकामना को पुरी करने मे जरा सी भी देरी नही करती। ऐसी विचित्र सुन्दरी मेनका अप्सरा को मेरा कोटि कोटि प्रणाम।
इन गुलाबो के सभी गन्ध से तिलक करे। और स्वयँ को भी तिलक कर लें।
ॐ अपूर्व सौन्दयायै, अप्सरायै सिद्धये नमः। मोली/कलवा चढाये :
वस्त्रम् समर्पयामि ॐ मेनका अप्सरायै नमः
गुलाब का इत्र चढाये : गन्धम समर्पयामि ॐ मेनका अप्सरायै नमः
फिर चावल (बिना टुटे) : अक्षतान् समर्पयामि ॐ मेनका अप्सरायै नमः
पुष्प : पुष्पाणि समर्पयामि ॐ मेनका अप्सरायै नमः
अगरबत्ती : धूपम् आघ्रापयामि ॐ मेनका अप्सरायै नमः
दीपक (देशी घी का) : दीपकं दर्शयामि ॐ मेनका अप्सरायै नमः मिठाई से पुजा करें।:
नैवेद्यं निवेदयामि ॐ मेनका अप्सरायै नमः फिर पुजा सामप्त होने पर सभी मिठाई को स्वयँ ही ग्रहण कर लें।
पहले एक मीठा पान (पान, इलायची, लोंग, गुलाकन्द का) अप्सरा को अर्प्ति करे और स्वयँ खाये। इस मंत्र (Menka Apsara Sadhana) की स्फाटिक की माला से 21 माला जपे और ऐसा 11 दिन करनी हैं।
Menka Apsara Sadhana Mantra :
मंत्र : “ॐ क्लीं मेनका अप्सरायै मम वश्मनाय क्लीं फट”
यहाँ देवी को मंत्र जप समर्पित कर दें। क्षमा याचना कर सकते हैं। जप के बाद मे यह माला को पुजा स्थान पर ही रख दें। मंत्र (Menka Apsara Sadhana) जाप के बाद आसन पर ही पाँच मिनट आराम करें।
“ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात पर ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥ ॐ श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः। ”
यदि कर सके तो पहले की भांति पुजन करें और अंत मे पुजन गुरु को समर्पित कर दे । अंतिम दिन जब अप्सरा दर्शन दे तो फिर मिठाई इत्र आदि अर्पित करे और प्रसन्न होने पर अपने मन के अनुसार वचन लेने की कोशिश कर सकते हैं। पुजा (Menka Apsara Sadhana) के अंत मे एक चम्मच जल आसन के नीचे जरुर डाल दें और आसन को प्रणाम कर ही उठें।

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जय माँ कामाख्या

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