Aghor Bala Mantra Sadhna Vidhi & Prayog :
अघोर बाला मंत्र : “ओम नमो आदेश गुरुजी को ओम गुरुजी ओम सोने की ईंद्री, रुपे की (चांन्दी की धार) । धरती माता तेरे को नमस्कार। धर्म की धोती, अलील (अनील) का प्याला, अजरी बजरी चेते गुरु-गोरख नाथ। बाला धर्म की डिब्बी शक्ति ने बाली (जलाई) ब्रह्मा बिष्णु ने लकडी जाली, शिब ने रान्धी (पकाई) शक्ति ने खायी अन्न्पूर्णा, महा-माई हाथ खप्पर गले रुणड माला शक्ति जपो तपो श्री सुन्दरी बाला। ओम अमर बांन्धे अम्बरी बज्र बांन्धे काया, हाथ जोड हनबन्त खडा बांन्ध ल्याऊ शरीर सारा नौमण सार भस्म कर डालौं। सोने की सुराई रुपे का (चांन्दी का) प्याला, (कटोरा) भर-भर पीये भेरो मत बाला। भजो-भजो अलील भजो अनाद फुरो ऋद्धि फुरो सिद्ध भजो अलील गुसाई जी की चरण कमल पादुका को नमो नमो नम: इतना अघोर बाला मंत्र जपे तपे तो बारा कोस काल नेडो न आबे ।
ऊ आद अलील पुरुष की माया, जपो एक शव्द अमर रहे काया आद अघोर, अनाद , अघोर, श्री अघोर, पिण्ड अघोर, प्राण अघोर, शक्ति अघोर, ब्रह्मा अघोर, बिष्णु अघोर, चन्द्र और सूरज अघोर , मेरी बजर की काया जुगता सो मुकता आबे सो जाबे सिद्ध होय बहाँ काल न खाय ऐता अघोर बाला पढे कथ के टिल्ले बाल मुन्दाई लख्य्ण जती को श्री गुरु गोरखनाथजी ने सुनाया।श्रीनाथ गुरुजी को आदेश आदेश आदेश ।”
Aghor Bala Mantra Sadhna Vidhi :
उपरोक्त अघोर बाला मंत्र (Aghor Bala Mantra) को काली चौदस की रात्रि किसी एकान्त स्थान में या नदी किनारे या श्मशान भूमि पर बैठ कर अपने चारों और सुरख्या घेरा निकाल कर पुर्ब या पशिचम मुख होकर अपने सामने धूप-दीपक, अगरबती (गुगल, बतीसा घी की धूनी दे) जलाबें और गुरु मंत्र की एक माला जपे । फिर इस अघोर बाला मंत्र (Aghor Bala Mantra) को 1008 बार जपे तो मंत्र सिद्ध हो जाता है । इसके उपरान्त अपनी रख्या हेतु प्रयोग में लिया जा सकता है । प्रयोग के समय 21 बार जपकर फुके या पानी अभिमंत्रित करके छिडके ।
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जय माँ कामाख्या