Aghor Mritsanjeevani Prayog :
यह बिद्या अघोर पंथ से है, इस अघोर मृतसंजीवनी प्रयोग बिद्या (Aghor Mritsanjeevani Prayog Bidya) के बल से मुर्दा जिंन्दा भी हो सक्ता है ! तंत्र मे बहुत तरीके इसके लिखे है! हम यन्हा पर सिर्फ दो तरीके लिखते है !
Aghor Mritsanjeevani Prayog 1 :
अघोर मृतसंजीवनी प्रयोग का पहला उपाय देखा जाए तो , पहले आप किसी एक अंकोल बृक्ष का चयन करे जो किसी सुनसान स्थान में होगा ! ताकि पूजा अनुष्ठान करते समय कोई टोक ना पाए ! इसके बाद आप शुक्ल पक्ष की पहला सोमबार को देखकर किसी अभिजित मुहूर्त में आप अंकोल ब्रुख्य के नीचे एक शिबलिंग स्तापित करे ! उस लिंग के सामने एक नया घडा स्तापन करके पुजा करे ! उसके पीछे ब्रुख्य ,घडा और शिबलिंग को एक सुत से बांधकर चार अनुष्ठान करने बाले चार सप्ताह तक पुजा करे ! इस प्रकार दिन रात अघोर मंत्र से पुजा की जाय ! जबतक अंकोल ब्रुख्यके फल पके तबतक पुजा करे ! फिर इन फलो मे से बीज निकाले! इन बीजो को बडे मुह्बाले एक बर्तन मे रख दे ! इस बर्तन के मुख मे थोडा पिसा हुआ सुहागा डाले ! फिर इस घडेका मुख कुम्हार के यन्हा की मिटी से भली भांति बंद करे तत्पस्चात इस बर्तन का मुन्ह नीचे करके इसके नीचे एक तांबे का बर्तन रखदे इसमे तेल गिरेगा ! इसमे से 4 रति तेलके साथ 4 रति तिलका तेल मिलाकर मुर्देके शरीरपर मले तो म्रुतक जिन्दा हो जायेगा !
Aghor Mritsanjeevani Prayog 2:
पुरुषका वीर्य और पारा पहले कहे हुए तेलके साथ मिलाकर म्रुतक पुरुषके शरीरपर लेप करे बह पुरुष तत्काल जिंन्दा हो जायेगा ! यह सारे बिधि किसी योग्य अघोर साधक गुरु के देख रेख से करना चाहिए ! क्यूँ ना यह सारे प्राचीन बिधि है ! यंहा सिर्फ जानकारी के लिए दिया गया है , एसा नही आप स्वयं यंहा पढ़कर इसके ऊपर काम करना चालु कर देना ! अगर एसा कुछ अप्रीतिकर घटना घटित हुआ है तो , इसका जिमेदार स्वयं आप ही होगे ! इसीलिए कोई भी काम या उपाय साधना प्रयोग करना है तो , किसी बिद्वान पंडित के सरण में रहकर करे , जिसको उसके ऊपर भले भांति ज्ञान होना चाहिए ! जो स्वयं वो साधना करके सफलता प्राप्त किया हो , तभी तो वो आपको आपको आगे बढ़ा सकता है !
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जय माँ कामाख्या