Chamatkari Aghori Vashikaran Prayog :
इंद्रजाल बिद्या से बहुत ताकत पैदा हो जाति है। अघोरी वशिकरण प्रयोग (Aghori Vashikaran Prayog) बहुत प्रकारके है । पह्ले तो हम दो एक दृष्टांत और उपाय निचे लिख्ते हैं। तंत्रो मे अघोरी वशिकरण प्रयोग (Aghori Vashikaran Prayog) के ईतने उपाय लिखे हैं कि अगर सबको लिखे तो एक बडि काहानि हो जाबे।
शैब संप्रदाय में साधना की एक रहस्यमयी शाखा है अघोरपंथ। अघोरी की कल्पना की जाए तो शमशान में तंत्र क्रिया करने बाले किसी ऐसे साधू की तस्बीर मस्तिष्क में उभरती है , जिसकी बेशभूषा डराबनी होती है। अघोरियों की पहचान यहीं है कि बे किसी से कुछ मांगते नहीं है और सबसे बड़ी बात यह है कि बे तब ही संसार में दिखाई देते है , जब बे पहले से नियुक्त श्मशान जा रहे हो या बहाँ से निकल रहे हों।
अघोर बिद्या सबसे कठिन लेकिन तत्काल फलित होने बाली बिद्या है। साधना के पूर्ब मोह -माया का त्याग जरुरी है। मूलत: अघोरी उसे कहते हैं , जिसके भीतर से अछे -बुरे , सुगंध -दुर्गन्ध , प्रेम -नफ़रत , इर्षा – मोह जैसे सारे भाब मिट जाएँ।
अघोरी साधकों हेतु अघोरी वशिकरण तंत्र के प्रारंभ में शिब साधना और वशिकरण यंत्र का बिधिबत पूजा करना चाहिए , इसकी साधना से साधक की हर मनोकामना पूर्ण होगी तथा किसी भी प्रकार की दुष्परिणाम से सुरक्षा करने में यह यंत्र और पूजा सक्षम है । पूजा बिधि बिधान से करने की बाद भोलेबाबा से अपना इच्छा प्रकट करना है और उनसे आज्ञा प्राप्त करने की बाद आप वशिकरण प्रयोग (Aghori Vashikaran Prayog) में हाथ डालना चाहिए और एक बात यहाँ सपष्ट करता हूँ , अपना हित में नहीं जन हित में अघोरी वशिकरण बिद्या प्रयोग करना चाहिए।
Aghori Vashikaran Prayog Vidhi :
बशिकरण का अर्थ है किसी अन्य ब्यक्ति को अपने अनुकूल बना लेना या उसे अपनी इच्छा अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य कर देना है। ये कार्य सामान्य रूप से अघोरी तंत्र मंत्र एबं भूत -प्रेत की सहायता से किया जाता है।
Aghori Vashikaran Prayog Totka :
यह बशिकरण टोटका और मंत्र कई जगहों पर इस्तेमाल किया जा सकता है और इसका तत्काल परिणाम मिलता है। सबसे पहले आप गधे के २७ दांत इकट्ठा करे और घोड़े के बालों के साथ इन दांतों को भून लें , प्रात: पूर्ब की और बैठते हुए और नीचे लिखे मंत्र को दोहराएँ।
Aghori Vashikaran Prayog Mantra :
मंत्र : “ॐ नमो भूतनाथ समस्त भुबन , भूटानी साध्य हूँ “ मंत्र एक दिन में ३ बार १०१ -१०१ करके दोहराया जाना चाहिए। उसके बाद इस मंत्र से ऊर्जा मिल जाने पर आपका काम साध्य हो जाएगा।
(a) पेठा (भुमिकुस्मंड) और बडके पेडकी जड पानी के साथ घिसकर माथेपर तिलक लगाने से त्रिलोकी के जीब वश हो जाते हैं।
(ब) पुष्या नक्षत्रमे पुनर्नवा की जड और रुद्रदंण्डी की जड उखाडे । ईन दोनो जडो को एक साथ हाथो मे बांधने से सब जगह पुजित होता है! ईसके बांधने के समय “ओम ओम पूरं ख्योभय” इत्यादि मंत्र सात बार पढे ।लेकिन पह्ले बीस हज़ार बार इस मंत्रका जप कर लेना चाहिये ।
(c) हबा से उडे हुए, पते, मजिठ, अर्जुन पेड और तगर ईन सब बस्तुओ को बराबर ले जिसके अंग से छुआ दोगे, बही बश मे आ जायेगा।
(d) मजिष्ठ ,केशर ,घीकुआर ,ईम्ली, चिताकी भस्म और अपना रुधिर ईक्ठा कर अपने बिर्य मे भिगो गोलिया बनाबे। अगर यह गोली राजा के शरीर से लगाबे तो बह भी बश मे हो जायेंगे ।
(e) चंद्रग्रहण के समय सफेद अपराजिता की जड अपने स्वमीके उडंग्मे लगादे, बह बश हो जायेगा।
(f) रबिबार को चमेली की लकड़ी लें और जायफल और राल के साथ मिश्रण बना लें । फिर दूध के साथ मिश्रण करके एक गोली बना लें ! यह मिश्रण उस महिला को दें। जब बह यह खाएगी तो बशिकरण टोटका उस पर हाबी हो जाएगा और बो आपके प्रभाब में आ जायेगा ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार (मो.) +91- 9438741641 {Call / Whatsapp}