अपराडाकिनी साधना

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Apara Dakini Sadhana

अपराडाकिनी भी बिध्वसं की देबी हैं। यह बह शक्ति है, जो उर्जा सर्किट में प्रतिक्षण बिध्वसं करके स्थूलता को तोड़ती रहती है । इससे भी सम्पूर्ण क्रियायें चलती हैं और लक्ष्मी तथा बगलामुखी देबियों की तरंगे इससे नबीन निर्माण करती है। यह रूद्र यानी आज्ञाचक्र की तरंगों से क्रिया करती है , इसलिए इनको काल भैरब की शक्ति कहा जाता है।

यज्ञ सामग्री :

मांस , मदिरा ,खोपड़ी ,पुष्प ,लाल चन्दन ,कपूर ,कपड़ा ,घृत ,दीपक ,लाल चन्दन आदि
दिशा : दक्षिण – पशिचम कोण
स्थान : श्मशान भूमि या निर्जन बन
समय : अर्द्धरात्रि

Apara Dakini Sadhana Mantra :

मंत्र : ॐ क्रीं क्लीं क्लीं ह्रीं श्रीं फट स्वाहा ।।

Apara Dakini Sadhana Vidhi :

डाकिनी साधना के समान । खोपड़ी के आज्ञाचक्र पर सिंदुर की दीपशिखा बनायें। पूजा अर्चना करें । पूजा –अर्चना के पश्चात्त् आज्ञाचक्र पर सिन्दूर का टिका लगायें ।

ध्यान लगायें और मूलमंत्र का जाप करें। एक सौ आठ मंत्र बढ़ायें । शेष सभी बाते डाकिनी साधना के सामान ।

चेताबनी : भारतीय संस्कृति में मंत्र तंत्र यन्त्र साधना का बिशेष महत्व है । परन्तु यदि किसी साधक यंहा दी गयी अपराडाकिनी साधना के प्रयोग में बिधिबत, बस्तुगत अशुद्धता अथबा त्रुटी के कारण किसी भी प्रकार की कलेश्जनक हानि होती है, अथबा कोई अनिष्ट होता है, तो इसका उत्तरदायित्व स्वयं उसी का होगा । उसके लिए उत्तरदायी हम नहीं होंगे । अत: कोई भी प्रयोग योग्य ब्यक्ति या जानकरी बिद्वान से ही करे । यंहा हम सिर्फ जानकारी के लिए दिया हुं ।

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