मंत्र : “काला कलुबा कमला केश, कानन कुंण्डल जोगी भेष । खप्पर मे खाए,श्मशान मे लेटे । इसकी पूजा कोई न मेटे।।”
साधक को अमाबस्या की रात्रि मे श्मशान मे जाकर चौमुखा दीपक जलाकर भैरब बाबा का पूजन करना चाहिए। इसके उपरान्त उक्त मंत्र का ११ हजार जप करना चाहिए। जप करने के उपरान्त उडद की दाल के भल्लों की बलि भी चिता में देनी चाहिए। इस बिधि से उक्त मंत्र की सिद्धि होती है।
जब उक्त मंत्र का प्रयोग शत्रु के विरुद्ध करना हो तो किसी भी रात्रि को श्मशान में जाकर भैरव बाबा का पूजन करके उक्त मंत्र का १०८ की संख्या में जप करे। फिर उडद के भल्लों की बलि चिता में दे। बलि प्रदान करते समय शत्रु के संहार का ध्यान करना चाहिए। यहि क्रिया एक स्प्ताह तक करें। निश्चय ही शत्रु का नाश होगा ।
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जय माँ कामाख्या