भोग यक्षिणी साधना कैसे करें ?

Bhog Yakshini Sadhana Kaise Kare ?

यक्षिणीयाँ मनुष्येतर जाति की प्राणी हैं । ये यक्षजाति के पुरुषों की पत्नियाँ है । इन्हें देबी –देबताओं की उपजाति के रूप में भी माना जा सकता है ।

यक्षिणीयों की संख्या असंख्य है । इनमे बिबिध प्रकार की शक्तियां सन्निहित मानी जाती हैं । बिभिन्न कार्यों की सिद्धि एबं मनोभिलाषाओं की पूर्ति के लिए बिभिन्न यक्षिणीयों की साधना की जाती है । चूँकि, यक्ष जाति चिरजीबी मानी गई है, अत: यक्षिणीयाँ भी चिरजीबिनी होती है । बे सृष्टि के आदिकाल से अभी तक बिद्यमान है तथा भबिष्य में भी रहेंगी – ऐसी मान्यता है ।

तंत्र शास्त्रों के मतानुसार यक्षिणी जिस साधक पर प्रसन्न हो जाती है, उसे अभिलषित बर अथबा इच्छित बस्तु प्रदान करती है । अत: मानोभीलाषाओं की पूर्ति के लिए देबी देबताओं की भाँति यक्षिणीयों को सिद्ध करने की बिधि भी प्रचलित हुई है ।

Bhog Yakshini Sadhana Mantra :

मंत्र : “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ।”

Bhog Yakshini Sadhana Vidhi :

उक्त मंत्र का 20000 की संख्या में जप करके नैबेद्द्य गरम दूध तथा खीर का भोजन से “भोग” यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को बिबिध प्रकार के भोग प्रदान करती है तथा भूत – प्रेत, पिशाच आदि उस साधक की सदैब सेबा करते रहते हैं ।

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तंत्राचार्य प्रदीप कुमार – 9438741641 (Call /Whatsapp)

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