Chori Ka Katora Chalan Mantra :
मंत्र : “ॐ सत्रह सै पीर चौसठ सै जोगिनी बाबन सै बीर बहतर सै भैरू तेर सै तंत्र चौदा सै मंत्र अठारा सै पर्बत सत्रह सै पहाड़ नौ सै नहीं निन्यानबें सै नाला – हनुमन्त जती गोरख बाला काँसी की कटोरी अंगुल चार चौड़ी गिरनारी पर्बत सौं चलाई नारी पर्बत सौं चलाई अठारा भार बनासपती चंचली लौना चमारी की बाचा फुरी कहाँ कंहाँ फुरी चोर के जाय चांडाल के जाय कहा कहा लाबे चोर को लाबे गडा धन जाय बताबे चाल चाल रे हनुमत बीर जंहाँ हो चले जंहाँ हो रहै न चलै तो गंगा जमुना उलटी बहै शव्द साँचा पिंड कंचा मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र इश्वरी बाचा सत्यनाम आदेश गुरु का ।।”
Chori Ka Katora Chalan Mantra Vidhi :
दिबाली की रात्री को 4 अंगुल चौड़ी तथा बजन में तीन पैसे भर की एक कांसे की कटोरी गडबाये फिर आबश्यकतानुसार उस कटोरी को चौके में रख कर पूजा करें । तत्पश्चात उक्त चोरी का कटोरा चालन मंत्र (Chori Ka Katora Chalan Mantra) से उड़द को अभिमंत्रित करके कटोरी पर मारता जाय तो कटोरी चलना आरम्भ कर देती है और जंहाँ पर चौकी का माल रखा होता है, बंहाँ जा कर ठहरती है । जब तक कटोरी चलती रहे, तब तक उस के ऊपर मंत्र पढ़ पढ़ कर उड़द मारते रहना चाहिये जंहाँ पर उड़द मारने पर भी चलती हुई कटोरी आगे न बढे, बही पर चोरी का माल रखा हुआ समझ लेना चाहिए ।
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