भौतिक सुख प्राप्ति हेतु गंधर्व साधना

Bhautik Sukh Prapti Hetu Gandharv Sadhana :

गंधर्वों को देवताओं का साथी माना गया है । गंधर्व विवाह, गंधर्व वेद और गंधर्व संगीत के बारे में आपने सुना ही होगा । गन्धर्व नाम से एक अकेले देवता थे, जो स्वर्ग के रहस्यों तथा अन्य सत्यों का उद्घाटन किया करते रहते थे । वे देवताओं के लिए सोम रस प्रस्तुत करते थे । विष्णु पुराण के अनुसार वे ब्रह्मा के पुत्र थे और चूंकि वे मां वाग्देवी का पाठ करते हुए जन्मे थे, इसीलिए उनका नाम गंधर्व पड़ा । दरअसल, ऋषि कश्यप की पत्नी अरिष्ठा से गंधर्वों का जन्म हुआ। अथर्ववेद में ही उनकी संख्या 6333 बतायी गई है ।

गंधर्व मिलन ओर गंधर्व गणिका एवं इनका आवाहन ओर गंधर्व साधना (Gandharv Sadhana) केवल ओर केवल वर्ष में एक बार सर्द पूर्णिमा के चंदिरत प्रकाश में कई जाती है । इसके अलावा इसका कोई समयकाल नही । ओर इनसे जल्दी प्रसन्न कोई भी गैन गणिका नही होते । केवल भौतिक सुख पाने हेतु यह गंधर्व साधना करनी चाहिए ।
“धोला गोला चमके रात
ले संगी ओर बैठ साथ
बीज काला ओर अन्न सात
पीला फल और चार हाथ
लाल लकड़ी ओर आंच पीली
आसन लाल और भोग खिली
18 पतासा 18 बीज
जब भोग जावे सीज
देके मंत्र पूरा ओर चक्कर लेके सात
देगो आवाज वा आके पास
मुट्ठी जब तक कर दो से चार
जब तक न बोले वा तोसे नयार
बोले जब वे दूसरी बार
मांग ले जो मांगे सो सो बार।”

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जय माँ कामाख्या

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