Kamakhya Poojan Tatha Siddhi :
कामाख्या आसाम प्रदेश में है । गोहाटी नगर में कामाख्या देबी का प्रसिद्ध मंदिर है । जिस पहाड़ पर मंदिर स्थित उसका नाम कामाख्या है । कहते है, कामाख्या देबी का स्थान जंगलों के और अधिक भीतर भाग में स्थित है यंहा सिद्ध महात्मा दर्शन पाते हैं ।
तांत्रिक भी अंतर्भागीय पहाड़ी – बनीय घाटीयो में देबी की उपासना (Kamakhya Poojan) करते है । बहां देबी कोई मूर्ति नहीं है ,केबल एक पिंडी के नीचे पानी सदेब बहता रहता है जिसे सोता कहा जा सकता है । यह जल कहां से आता है और कहां चला जाता है ? इसका पता नहीं चलता ,यह पिंडी देबी के गुप्ताग स्वरुप है अत: ढका ही रखा जाता है । यंहा से ऊपर की और बढ़ने पर भैरब का दर्शन कर लौट आना होता है ।इसी रास्ते में भुबनेश्वरी जी का भी मंदिर है । यंहा पर बकरे की बलि दी जाती है ।
देबी के पूजन के लिए साधक को दत्तचित होना चाहिए । लाल बस्त्र पर कामाख्या यन्त्र बनायें । इसके अतिरिक्त जो यन्त्र सिद्ध करना हो उसे भी साथ रखकर पूजन करें।
Kamakhya Poojan Mantra :
मंत्र : ओं आं ह्रीं क्रौं यं रं बं शं ष हं स: कमाख्या: प्राणा: इह प्राणा: ।ओं आं ह्रीं क्रौं यं रं लं बं शं ष हं स: कमाख्या: जीब इह स्थित: ।ओं आं ह्रीं क्रौं यं रं कामख्याया: सर्बन्द्रियाणी बाडमनस्तब्कचक्ष्यु: श्रोत –जिह्वा –घ्राण –पाणीं –पाद पायुपस्थानि इहैबाग़त्य मुखं चिर तिष्ठन्तु स्वाहा ।
पुषांजलि अर्पण करें :
“ओं भू: भुब: स्व: ओं कामक्षयै चामुंडायै बिदमहे भग्बत्यै धीमहि तन्नो गौरी प्रचोद्यात्त् ।”
अब देबी का षोडशोपचार बिधि से पूजन करें।
“ओं ऐ ह्रीं क्लीं कमाख्ये स्वाहा ।” यह देबी का द्वादश अक्षर बाला मंत्र है इसी एक मंत्र से ही देबी का पूजन करना चाहिए ।
चेताबनी : भारतीय संस्कृति में मंत्र तंत्र यन्त्र साधना का बिशेष महत्व है । परन्तु यदि किसी साधक यंहा दी गयी साधना (Kamakhya Poojan) के प्रयोग में बिधिबत, बस्तुगत अशुद्धता अथबा त्रुटी के कारण किसी भी प्रकार की कलेश्जनक हानि होती है, अथबा कोई अनिष्ट होता है, तो इसका उत्तरदायित्व स्वयं उसी का होगा । उसके लिए उत्तरदायी हम नहीं होंगे । अत: कोई भी प्रयोग योग्य ब्यक्ति या जानकरी बिद्वान से ही करे। यंहा हम सिर्फ जानकारी के लिए दिया हुं ।
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