Mohammada Peer Mantra Siddhi Sadhana Vidhi :
Mohammada Peer Mantra :
“बिसिम्लाहिर रहेमार्नि रहिम पायं घूघरा कोटे
जंजीर जिस पर खेले मोहम्म्दा पीर सबा मणका तीर जिस पर
खेलता आबे मुहम्म्दा बीर मार-मार करता आबे बांध-बांध
करता आबे डाकिणी को बांध शाकिणी को बांध बांध पलीत
को बांध नौ नरसिंग को बांध बाबन भैरों बांध
जातका मशाण बांध गुगिया, पितिया, धौलिया, कालिया मसाण
बांध, बांध कुंआ बाबडी लाबो सोती को। लाबो पीसती को
लाबो, लाबो पकाती को लाबो जल्दी जाबो हजरत इमाम हुसैन
की जांघ से निकाल कर ल्याबो। बीणा फातमा के दामन सु
खोलकर ल्याबो नहीं लाबें तो माता का चुंखा चौखा दूध हराम
करें। श्वद सांचा पिण्ड काचा फुरो मंत्र इश्वरो बाचा।।”
साधकों ये मोहम्म्दापीर मंत्र साधना (Mohammada Peer Mantra Sadhana) किसी योग्य ब्यक्ति की देख-रेख में ही करें क्योंकि इस्को करते समय हरेक प्रकार से साबधानी रखनी पडती है नहीं तो कई संकटों का सामना करना पड सकता है । ये साधना नो-चन्दी जुमेरात रात को की जाती है । किसी निर्जन एकांत स्थान में बेठकर शुरु करनी पडती है । सर्बप्रथम आसन लगाकर बैठ जायें अपने सामने धूप-दीप, अगरबती जलाबें । फिर गुलाब के इत्र से रुई को भिगो कर छोटा सा फोहा अपने कानों में लगा लें और एक इत्र की शीशी तथा सुगन्धित पुष्प माला सामने रखें और नैबेद्य भी चढाबें । अब रख्या मंत्र पढकर अपनी सुरख्या का प्रबन्ध कर लें या आसन पर बैठने से पहले रख्या मंत्र जपते हुये चाकु से घेरा खींच लें । फिर उपरोक्त मंत्र को जपे । जप के समय साधक प्रतिदिन उल्टी माला जपे इसी भांति प्रतिदिन यह साधना करें । समय रात्रि 11 बजे उपरांत का रखें । आप इसको श्मशान या कब्रिस्तान में भी कर सकते हो । लेकिन साबधानी से करे । इसी भांति 31 दिन साधना करते रहने से मोहम्म्द पीर साधक को दर्शन देता है । तब उनको पुष्प माला धारण करबायें और नैबेद्य प्रदान करें और अपनी कामना के अनुसार उनसे बचन प्राप्त कर लें । इसके बाद साधक इस शक्ति से जनकल्याण कर सकता है ।
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जय माँ कामाख्या