तंत्र से लक्ष्मी प्राप्ति के प्रयोग : नागेश्वर तंत्र

Tantra Se Lakshmi Prapti Ke Prayog : Nageshwar Tantra

नागेश्वर को प्रचलित भाषा में ‘नागकेसर’ कहते हैं । काली मिर्च के समान गोल, गेरु के रंग का यह गोल फूल घुण्डीनुमा होता है । पंसारियों की दूकान से आसानी से प्राप्त हो जाने वाली नागकेसर शीतलचीनी (कबाबचीनी) के आकार से मिलता-जुलता फूल होता है । यही यहाँ पर प्रयोजनीय माना गया है ।
१॰ किसी भी पूर्णिमा के दिन बुध की होरा में गोरोचन तथा नागकेसर खरीद कर ले आइए । बुध की होरा काल में ही कहीं से अशोक के वृक्ष का एक अखण्डित पत्ता तोड़कर लाइए । गोरोचन तथा नागकेसर को दही में घोलकर पत्ते पर एक स्वस्तिक चिह्न बनाएँ । जैसी भी श्रद्धाभाव से पत्ते पर बने स्वस्तिक की पूजा हो सके, करें । एक माह तक देवी-देवताओं को धूपबत्ती दिखलाने के साथ-साथ यह पत्ते को भी दिखाएँ । आगामी पूर्णिमा को बुध की होरा में यह नागेश्वर तंत्र (nageshwar tantra) प्रयोग पुनः दोहराएँ । अपने नागेश्वर तंत्र प्रयोग के लिये प्रत्येक पुर्णिमा को एक नया पत्ता तोड़कर लाना आवश्यक है । गोरोचन तथा नागकेसर एक बार ही बाजार से लेकर रख सकते हैं । पुराने पत्ते को प्रयोग के बाद कहीं भी घर से बाहर पवित्र स्थान में छोड़ दें ।
२॰ किसी शुभ-मुहूर्त्त में नागकेसर लाकर घर में पवित्र स्थान पर रखलें । सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करें और प्रतिमा पर चन्दन-पुष्प के साथ नागकेसर भी अर्पित करें । पूजनोपरान्त किसी मिठाई का नैवेद्य शिवजी को अर्पण करने के बाद यथासम्भव मन्त्र का भी जाप करें ‘ॐ नमः शिवाय’। उपवास भी करें । इस प्रकार २१ सोमवारों तक नियमित Nageshwar tantra साधना करें । वैसे नागकेसर तो शिव-प्रतिमा पर नित्य ही अर्पित करें, किन्तु सोमवार को उपवास रखते हुए विशेष रुप से साधना करें । अन्तिम अर्थात् २१वें सोमवार को पूजा के पश्चात् किसी सुहागिनी-सपुत्रा-ब्राह्मणी को निमन्त्रण देकर बुलाऐं और उसे भोजन, वस्त्र, दान-दक्षिणा देकर आदर-पूर्वक विदा करें । इक्कीस सोमवारों तक नागेश्वर तंत्र (nageshwar tantra) द्वारा की गई यह शिवजी की पूजा साधक को दरिद्रता के पाश से मुक्त करके धन-सम्पन्न बना देती है ।
३॰ पीत वस्त्र में नागकेसर, हल्दी, सुपारी, एक सिक्का, ताँबे का टुकड़ा, चावल पोटली बना लें । इस पोटली को शिवजी के सम्मुख रखकर, धूप-दीप से पूजन करके सिद्ध कर लें फिर आलमारी, तिजोरी, भण्डार में कहीं भी रख दें । यह धनदायक नागेश्वर तंत्र (nageshwar tantra) प्रयोग है । इसके अतिरिक्त nageshwar tantra के  प्रत्येक प्रयोग में “ॐ नमः शिवाय” से अभिमन्त्रित करना चाहिए ।
४॰ कभी-कभी उधार में बहुत-सा पैसा फंस जाता है । ऐसी स्थिति में यह नागेश्वर तंत्र (nageshwar tantra) प्रयोग करके देखें-
किसी भी शुक्ल पक्ष की अष्टमी को रुई धुनने वाले से थोड़ी साफ रुई खरीदकर ले आएँ । उसकी चार बत्तियाँ बना लें । बत्तियों को जावित्री, नागकेसर तथा काले तिल (तीनों अल्प मात्रा में) थोड़ा-सा गीला करके सान लें । यह चारों बत्तियाँ किसी चौमुखे दिए में रख लें । रात्रि को सुविधानुसार किसी भी समय दिए में तिल का तेल डालकर चौराहे पर चुपके से रखकर जला दें । अपनी मध्यमा अंगुली का साफ पिन से एक बूँद खून निकाल कर दिए पर टपका दें । मन में सम्बन्धित व्यक्ति या व्यक्तियों के नाम, जिनसे कार्य है, तीन बार पुकारें । मन में विश्वास जमाएं कि परिश्रम से अर्जित आपकी धनराशि आपको अवश्य ही मिलेगी । इसके बाद बिना पीछे मुड़े चुपचाप घर लौट आएँ । अगले दिन सर्वप्रथम एक रोटी पर गुड़ रखकर गाय को खिला दें । यदि गाय न मिल सके तो उसके नाम से निकालकर घर की छत पर रख दें ।
५॰ जिस किसी पूर्णिमा को सोमवार हो उस दिन यह नागेश्वर तंत्र (nageshwar tantra) प्रयोग करें । कहीं से नागकेसर के फूल प्राप्त कर, किसी भी मन्दिर में शिवलिंग पर पाँच बिल्वपत्रों के साथ यह फूल भी चढ़ा दीजिए । इससे पूर्व शिवलिंग को कच्चे दूध, गंगाजल, शहद, दही से धोकर पवित्र कर सकते हो । तो यथाशक्ति करें । यह नागेश्वर तंत्र क्रिया अगली पूर्णिमा तक निरन्तर करते रहें । इस पूजा में एक दिन का भी नागा नहीं होना चाहिए । ऐसा होने पर आपकी पूजा खण्डित हो जायेगी । आपको फिर किसी पूर्णिमा के दिन पड़नेवाले सोमवार को प्रारम्भ करने तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी । इस एक माह के लगभग जैसी भी श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना बन पड़े, करें । भगवान को चढ़ाए प्रसाद के ग्रहण करने के उपरान्त ही कुछ खाएँ । अन्तिम दिन चढ़ाए गये फूल तथा बिल्वपत्रों में से एक अपने साथ श्रद्धाभाव से घर ले आएँ । इन्हें घर, दुकान, फैक्ट्री कहीं भी पैसे रखने के स्थान में रख दें । धन-सम्पदा अर्जित कराने में नागकेसर के पुष्प चमत्कारी प्रभाव दिखलाते हैं ।

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जय माँ कामाख्या

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