नवग्रह शांति और दुर्भाग्य नाशक अमोघ मंत्र

नवग्रह की शांति के लिए राम चरित मानस में एक अचूक मंत्र है, जिसके जप का विश्ोष फल प्राप्त होता है। नवग्रह शांत होते हैं और जीव की बाधाएं समाप्त होती हैं। कहते हैंं कि जिस जीव पर नवग्रह की कृपा हो जाती है, उसे इस लोक सभी सुख और सौभाग्य की प्राप्ति हो जाती है, इसलिए प्रत्येक जीव का नवग्रह की शांति के लिए प्रयास करना चाहिए। विश्ोषतौर पर इस मंत्र का जप सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यदि आपके भाग्य में दुर्भाग्य का साया है तो इस मंत्र का आवश्य जप करना चाहिए। इससे आपको सौभाग्य की प्राप्ति श्री राम की कृपा से आवश्य ही होगी।

Navagrah Shanti Mantra –

“मोहि अनुचर कर केतिक बाता।
तेहि महॅँ कुसमउ बाम बिधाता।। ”

Navagrah Shanti Mantra Prayog Vidhi :

राम नवमी के दिन रुद्राक्ष की माला पर 1100 जप नित्य करते हुए इसे चालीस दिन पूर्ण करें। 41 वें दिन अखंड रामायण का पाठ करवाएं। इस अवसर पात्रों और गरीबों का भोजन भी करवाया जाए। इन्हें वस्त्र भी बांटे जाएं। इस मंत्र के प्रयोग से दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है। इस मंत्र का जप करने वाले को नवग्रह नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। प्रभु राम की असीम कृपा भी जप करने वाले को प्राप्त हो जाती है। इस मंत्र के जप में भाव की प्रधानता का विश्ोष महत्व है, इसलिए मंत्र के जप के दौरान भाव की प्रधानता रखी जाए, क्योंकि ईश्वर भाव को ही देखता है।
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