Peer Siddhi Sadhana :
गुरुबार की रात्री में जमीन को धोकर सबा किलो तन्दुल रखो उन तन्दुलों पर एक दीपक आटे का बनाकर जलाओ । इसके बाद उस दीपक को सुगन्धित पुष्पों की माला पहनाओ, दीपक के आगे पांच लौंग ,इलायची, मज्मूआ, इत्र की फुरेरी, देशी पान, शुद्ध देशी घी का हलुबा ,मिठाई ,पांच मेबा रखकर लोहबान की धुनी दो । फिर किस स्त्री को पश्चिम की और मुख करा के दीपक के समक्ष बाल खुलबाकर बैठा लें फिर उसके सिर पर पाँच लौंग रख दो तो मुहम्मद पीर (Peer Siddhi Sadhana) की सबारी आ जायेगी । सबारी के आते ही सुगन्धित माला बह मजमूआ इत्र ,इलायची ,पाँच लौंग, पान बगैरा सबारी को दे दें ।
Peer Siddhi Sadhana Mantra :
“ॐ नमो बिस्मलोहिर्रहमान रहीम गजनी से चले मुहम्मद पीर, चला चला सबा सेर का तोसा खाय कौसाका घाब जाम सफ़ेद घोड़ा सफ़ेद लगाम उस पर चढ़े मुहम्मद पीर नौसे पलटन आगे चले नौसे पलटन पीछे चले चल चल रे मुहम्मद पीर, तेरे समान नहीं कोई बीर हमारे शत्रु को पकड़ता लाया ।हाड हाड चाम नख सिख राम राम से लाब लाल रे ताइयां सिलार जिंद पीर मारता पीटता उचाडता हथकड़ी पाँव में बेडी गले में तौक उल्टी आब सबारी गेरी खाली पड़ी है ।जल्द आब सबारी पर सबारी कर खेल खुश हो ।”
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