Kuchh Prabhavshali Mantra :
1. Prabhavshali Mantra (Vashikaran)
मंत्र – “ॐ नम: कन्दर्पशरबिजालिनी मालिनी सर्बलोकबशंकरी स्वाहा ।”
इस मंत्र को नबरात्रि में नित्य 1 हजार जपकर सिद्ध करें । बाद बिस्तर से उठने पर नित्य 11 बार जप कर उठे तो बशीकरण हो जाएगा ।
2. Prabhavshali Mantra (Vashy)
मंत्र – “ॐ बश्यमुखी राजमुखी स्वाहा ।” इस मंत्र से नित्य पानी से सात बार मुँह धोना चाहिए ।
3. Prabhavshali Mantra (Stri Vashikaran)
मंत्र – “ॐ नमो भग्बते रुद्राय ॐ चामुंडे अमुकीं में बश्मानय स्वाहा ।”
अपनी स्त्री क्रोद्ध हो जाए या कोई बिक्षेप हो, तो इस मंत्र से उसे बश में कर प्रसन्न रखने के लिए नित्य रात्रि में 1 हजार मंत्र जाप करना चाहिए ।
4. Prabhavshali Mantra (Stri Kasht Nivaran Mantra)
मंत्र – “ॐ नमो भग्बते मकरकेतबे पुष्पधन्बने प्रतिचालितसकलसुरासुरचिन्ताय युबतीभगबासिने ह्रीं गर्भ चालय चालय स्वाहा ।” – इस मंत्र से सरसों अभिमंत्रित कर उन्हें सिरहाने रखें । शीघ्र स्त्रीकष्ट निबारण होता हैं ।
5. Prabhavshali Mantra (Sumukhi Devi Mantra)
मंत्र – “ॐ उच्छिष्टचांडालिनी सुमुखिदेबी महापिशाचिनी ह्रीं ठ: ठ: ठ: ।” – इस मंत्र को नबरात्रि में नित्य 1 हजार जपकर मधु, दूध से हबन करने पर बशीकरण , मधु, घी और पान से आकर्षण तथा घी, बिल्वपत्र के हबन से सर्बकार्यसिद्धि और संतान पक्ष में सिद्धि होती हैं ।
6. गोपाल गायत्री – “ॐ कृष्णाय बिदम्हे, दामोदराय धीमहि, तन्नो: कृष्ण: प्रचोदयात् ।।”
7. गोपाल सुन्दरी मंत्र – “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कृष्णाय गोबिन्दाय गोपीजनबल्लभाय स्वाहा ।।”
8. पुत्रप्रद कृष्ण मंत्र – “ॐ देबकीसूत गोबिन्द बासुदेब जगत्पतये । देहि में तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत: ।।” – उपर्युक्त दोनों मंत्र में से किसी भी मंत्र के 1 लक्ष जप के बाद नित्य 1 हजार जप करने से संतान प्राप्ति का योग बनता है ।
9. गोपाल मंत्र – “ॐ क्लीं गोबल्लभाय स्वाहा ।” – इस मंत्र का 6 लक्ष जप के बाद हबन शांति करके फिर नित्य 1 हजार जप करने से संतान बृद्धि होती है ।
10. गोपाल मंत्र 2 – “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कृष्णाय गोबिन्दाय स्वाहा ।” – इन मंत्रो का 6 लक्ष्य जपकर हबन शांति करने से संतान का सुख और बशीकरण होता है ।
11. कृष्ण मंत्र – “ॐ क्लीं कृष्ण क्लीं ।”
12. रुक्मणीबल्लभ मंत्र – “ॐ नमो भगबते रुकिमणीबल्ल्भाय स्वाहा ।”
13. सुखप्रसब मंत्र – “ॐ ऐ ह्रीं भगबती भगमालिनि चल –चल भ्रामाय पुष्पं बिकासय बिकासय स्वाहा ।” – इस मंत्र से जल को अभिमंत्रित कर स्त्री को पिला देने से प्रसब सुख से होता है, प्रसब में कष्ट नही होता ।
14. सर्बारिष्टनाशक मंत्र – “ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ॐ ह्रीं क्रीं ख्रीं ॐ क्रीं ख्रीं क्षिं ॐ ह्रीं थ्रीं फ्रीं ह्रीं ॐ ।” इस मंत्र को नित्य 50 बार जपने से मंत्र सिद्ध होता है । फिर लाल फूलों की माला इस मंत्र से अभिमंत्रित कर देबी को अर्पण की जाए तो सब अरिष्ट दूर हो जाते हैं ।
15. शांतिप्रद मंत्र – “ॐ क्षौं क्षौं स्वाहा ।” इस मंत्र की नित्य त्रिकाल एक माला जपने से घर में शांति रहती है ।
16. ज्वर शांति मंत्र – “ॐ नमो भगबती बज्रश्रुखले हस्तु भक्षतु स्वादतु अहोरक्तं पिब कृपालेन रक्ताक्षि रक्तपटे भस्माक्षि भस्मलिप्तशरीरे बज्रायुधप्रकरनिचिते पूर्बान्दिशं बध्नातु दक्षिणान्दिशंम्बध्नातु पश्चिमान्दिशंम्बध्नातु नागार्थधनाय गृहपतीन् बध्नातु नागपटीं बध्नातु यक्षराक्षसपिशाचान् बध्नातु प्रेतभूतगन्धर्बादियों ये ये केचित् पुत्रिकास्तेभ्यो रक्षतु ऊर्ध्वं अधो रक्षतु स्वनिकां बध्नातु जलमहाबले एहोव्हि तु लोष्टि लोष्टि शताबलि ब्ज्राग्नि बज्रप्रकरे हूँ फट् ह्रीं ह्रीं श्रीं फट् हुं ह्रं फं फं सर्बग्रहेभ्य: सर्बदुष्टोंप्रदबेभ्यो ह्रीं अबशेषेभयों माँ रक्षतु । इतीदं कबच देबि सुरासुरसुदुर्लभम् । ग्रहज्वारादिभूतेषु सर्बकर्मसु योजयेत् ।।” – इस कबच का सात बार पाठ सुनाने से ज्वर पीड़ा दूर होती है ।
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ज्योतिषाचार्य प्रदीप कुमार
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