पुत्रदा यक्षिणी साधना विधि

Putrada Yakshini Sadhana Vidhi :

पुत्रदा यक्षिणी यक्षलोक की बासिनी और भोग ऐश्वर्य से सम्बन्ध रखने बाली देबियां हैं । ये लोग जलों और धनों की रक्षा करते हैं ।

इनके राजा धनाधिपति भगबान कुबेर हैं जो अपनी अमराबती के समान समृद्ध राजधानी अलकापुरी में निबास करते हैं । बहाँ करोडों यक्षो का निबास माना गया है ।

प्रभाब : बिभीन्न यक्षिणीयां से यूं तो सम्पूर्ण यक्षलोक ही यक्ष यक्षिणीयों से भरा पडा है किन्तु कुछ ऐसी यक्षिणीयां हैं जो साधना के अनुकूल रही हैं और बे मनुष्यों के साथ सहयोग करती आई हैं । इनकी साधना कठिन है, पर है लाभकारी ।

Putrada Yakshini Sadhana Mantra :

यक्षिणी मंत्र : “ॐ क्रूं क्रूं नम: ।।”

Putrada Yakshini Sadhana Anusthan :

ये यक्षिणी की साधना प्राय: आषाढ पूर्णिमा से आरम्भ होती है । सभी में स्फटिक माला प्रयुक्त होगी ।

यक्षिणी की साधना से पूर्ब गणेश, गौरी, नबग्रह, गुरूदेब, महामृत्युंजय और यक्षराज का सामान्य पूजन नित्य करना होता है । ११ कन्याएं नित्य खिलानी होती हैं ।

आम के बृक्ष पर चढकर । पहले कहे हुए बिधान को पूर्ण करके पुत्रदा का जप करे (११००० नित्य) तो पुत्र प्राप्ति होती है ।

Facebook Page

नोट : यदि आप की कोई समस्या है, आप समाधान चाहते हैं तो आप आचार्य प्रदीप कुमार से शीघ्र ही फोन नं : 9438741641 {Call / Whatsapp} पर सम्पर्क करें ।

Acharya Pradip Kumar is renowned as one of India's foremost astrologers, combining decades of experience with profound knowledge of traditional Vedic astrology, tantra, mantra, and spiritual sciences. His analytical approach and accurate predictions have earned him a distinguished reputation among clients seeking astrological guidance.

Sharing Is Caring:

Leave a Comment