Rati Apsara Sadhana :
रति अप्सरा देबलोक में रहने बाली अति सुन्दर ,अनुपम, अनेक कलाओं में दख्य, तेजस्वी और अलौकिक देबी है । सभी अप्सराओं में यह रति अप्सरा अति सुन्दर अप्सरा की श्रेणी में आती है । सभी अप्सराएं रातरानी, चमेली, रजनीगंधा की गंध से आकर्षित होती हैं । इस रति अप्सरा की साधना (Rati Apsara Sadhana) में साधक को स्वयं की काम भाबना पर नियंत्रण रखना होता है । जब इस अप्सरा की साधना सम्पन्न हो तो साधक को गुलाब के साथ इत्र भेंट करना चाहिए । यह चमत्कारी शक्तियों से सम्पन्न अप्सरा है, जो साधक के जीबन को परिबर्तित करने की ख्यमता रखती है ।
इस रति अप्सरा की साधना (Rati Apsara Sadhana) से पहले साधक को अशोक बृख्य के पते ब डालियां लाकर जल से धोकर इस मंत्र से पूजन करें—-
अशोकाय नमस्तुभं कामस्त्री शोकनाशन:
अब इन्हें पीत बस्त्र से ढंककर अपने साधना कख्य में रखें । अब पीले चाबल की नौ ढेरियां बनाकर उन पर नौ मोती शंख स्थापित करें । अब सभी कामों का पूजन करें , यथा- १. काम, २. भस्म शरीर, ३. अनंग, ४. मनमथ, ५. बसंत सखा,६. इख्युक, ७. धनुर्धर, ८. कामबाण, ९. पुष्पबाण
अब देसी कपूर जलाकर निम्नलिखित मंत्र से पूजन करें …ॐ क्लीं कामाय नम:
फिर गोरोचन चढाकर यह मंत्र पढें….. ॐ क्लीं भस्मशरीराय नम:
गुलाब का इत्र चढाकर यह मंत्र बोलें : ॐ क्लीं अनंगाय नम:
अगरबती जलाकर यह पढें : ॐ क्लीं मन्मथाय नम:
कुमकुम चढाते हुए यह उचारण करें : ॐ क्लीं बसन्तसखाय नम:
आंबला चढाकर यह बोलें : ॐ क्लीं स्मराय नम:
चन्दन चढाकर यह उचारित करें : ॐ क्लीं इखुधनुर्धराय नम:
फिर फूल चढाकर यह कहे : ॐ क्लीं पुष्पषाणाय नम:
अब पल्ल्ब से पूजन करे : ॐ क्लीं कामबाण नम:
अब अपने सामने अशोक बृख्य के पते और माला इस श्लोक को पढकर चढायें :-
सर्ब रत्नमयी नाथ दामिनी बनमालिकाम्।
गृहाण देब पूजार्थ सर्बगन्धमयी बिभो।।
अब प्रसाद ब सुपारी भी अर्पित करें । शुध घी का दीप जलाकर सामने रखें । अभिमंत्रित स्फटिक माला से ५१ माला रति अप्सरा मंत्र जप करें । मंत्र जप से पूर्ब संकल्प लें कि “ गणपति ब देबी देबताओं को साखी मानकर मैं रति अप्सरा का आबाहन कर रहा हूँ, बह प्रेमिका या मित्र रूप में दर्शन देकर मेरा आग्रह स्वीकार करें ।“ संकल्प से पूर्ब जल ब पुष्प हाथ में लें ब संकल्प समाप्ति पर उसे धरा पर छोड दें । अब मंत्र जाप प्रारम्भ करें…
Rati Apsara Sadhana Mantra :
मंत्र : रति अप्सरा कामदेबाय बिद्महे पुष्पबाणाय धीमहि तन्नो रति प्रचोदयात्।।
यह रति साधना (rati apsara sadhana) यदि पूर्ण शुध भाबना से की जाये तो इसमें असफलता का कोई औचित्य ही नहीं है । निरन्तर मंत्र जप से नियमों का पालन करके रति अबश्य ही प्रत्यख्य होकर साधक को मनोबांछित बरदान देती है ।
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जय माँ कामाख्या