Sarbjan Mohan Tantra Prayog Vidhi :
मंगलबार अथबा शनिबार को आधीरात के समय एक उल्लू को पकड़ कर, उसके सिर से सात पंख नोंच कर छोड़ दें । फिर अगली अमाबस्या की रात को, उन पंखों को लेकर श्मशान भूमि में जायें और किसी जलती हुई चिता के सामने पूर्बाभिमुख हो पद्मासन लगाकर बैठ जाय । नीचे कुश अथबा कम्बल का आसन अथबा मृगछाला बिछाये रखना आबश्यक है ।
मृगछाला पर बैठने से पूर्ब ही तांबे के एक पात्र में शुद्ध जल भरकर रख लेना भी आबश्यक है । इतना करने के बाद एक कांसे अथबा पत्थर की तश्तरी में उल्लू के सात पंखों को रखकर, उन्हें जल के छीटे मारकर जलसिक्त कर दे । फिर निम्नलिखित मंत्र का १००८ बार जप करे । प्रत्येक बार मंत्रोच्चारण के साथ ही परों के ऊपर, ताम्रपत्र में भरे हुए जल से छीटे मारते जाना आबश्यक है । यह सर्बजन मोहन तंत्र बिधि (Sarbjan Mohan Tantra Vidhi) से बे पंख अभिमंत्रित होते चले जायेंगे ।
Sarbjan Mohan Mantra :
मंत्र –”ॐ नमो लक्ष्मी बाहनाय । नमो काक बंश बिध्बंसनाय । नमो बिष्णबे ॐ क्रां क्रीं क्रुं क्रें क्रों क्रं क्र: स्वाहा ।”
उक्त बिधि से जब मंत्र जप पूरा हो जाय, तब उन पंखों को लेकर घर लौट आना चाहिए तथा अभिमंत्रित पंखों को सम्भाल कर, किसी बस्त्र आदि में लपेट कर सुरक्षित रख देना चाहिए ।
आबश्यकता के समय जब किसी स्त्री अथबा पुरुष को सम्मोहित करना हो, तब उसके पहनने के बस्त्रो के भीतर गुप्त रूप से एक पंख रख देना चाहिए । उस पंखयुक्त बस्त्र जब भी बह स्त्री या पुरुष धारण करेगा, तभी बह प्रयोगकर्ता के सहसा बशीभूत हो जायेगा और बह स्वयं ही उससे मिलने के लिए छटपटा उठेगा । यह सर्बजन मोहन तंत्र (Sarbjan Mohan Tantra) है ।
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