Shatru Bidveshan Prayog :
दो मित्रों के जन्म नक्षत्र बाले बृक्षों की लकड़ी (या आक की लकड़ी, नीम की लकड़ी) से दो पीढ़े बनाकर उनपर गदही के दूध से लेप करे । तत्पश्चात उसके ऊपर बिषाष्टक से नामयुक्त दो अकार लिखकर उसे छूकर रात में इस मन्त्र (Shatru Bidveshan Prayog Mantra) को एक हजार बार जपें ।
Shatru Bidveshan Prayog Mantra :
मंत्र :- “ॐ ह्रौं ग्लौं हसौं भ्रौं भगबती दण्डधारिणी अमुकं अमुकं शीघ्र बिद्वेषय बिद्वेषय रोधय रोधय भन्जय भन्जय श्रीं मायाराज्ञयै ॐ हुं हुं हुं ।”
इसके बाद गदहा, भैसा, कुते की पूँछ के बालों को काट कर उससे रस्सी बनाकर उन दोनों पीढों को बाँध देबें । उन पीढो को दीमक बामी के छिद्र में (बिपरीत दिशा में उनके मुंह करके) गाड़कर फिर एक हजार शत्रु बिद्वेषण प्रयोग मंत्र (Shatru Bidveshan Prayog Mantra) का जप करें । इस प्रकार बिद्वेष्ण की सिद्धि होती है । बल्मीक छिद्र में उसे गाड देबें फिर मनुष्य एक सप्ताह जप करे तो दोनों मित्रों में बैर हो जाता है ।
प्रयोग :-
(१) दो ब्यकियों के परस्पर क्रुद्ध होकर लड़ने से उनके पैरों के नाखूनों से उठी हुई धूल को लाकर यदि दो भाइयों के घर में या उनकी पुतलियों को उससे ताडन करे तो उन दोनों में तुरन्त हि बिद्वेष का भाब उत्पप्न होता है ।
(२) महिष और अश्व के मल को गोमूत्र से मिश्रित कर उससे जिन दो ब्यक्तियो के नाम लिखे जाएं, उसको पत्थर के नीचे दबायें तो उनमें परस्पर बैर भाब उत्पन्न होता है ।
(३) महिष और अश्व के रक्त द्वारा शमशान के बस्त्र में जिनके नाम लिखकर उसे गाड देबें तो उन दो ब्यक्तियों में बिद्वेष होता है ।
(४) षट्कोण चक्र के मध्य में दो शत्रुओं के नाम लिखकर उसके ऊपर “ॐ नमो महाभैरबाय श्मशान बासिने अमुकामुकयो बिद्वेष कुरु कुरु हूं फट्” यह महाभैरब मन्त्र लिखने से उन दोनों शत्रुओं में परस्पर बिद्वेष होता है ।
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