Shatru Mohan Kaamakhya Mantra Prayog :
शत्रु मोहन मन्त्र :
“चन्द्र-शत्रु राहू पर, विष्णु का चले चक्र।
भागे भयभीत शत्रु, देखे जब चन्द्र वक्र।
दोहाई कामाक्षा देवी की, फूँक-फूँक मोहन-मन्त्र।
मोह-मोह-शत्रु मोह, सत्य तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र।।
तुझे शंकर की आन, सत-गुरु का कहना मान।
ॐ नमः कामाक्षाय अं कं चं टं तं पं यं शं ह्रीं क्रीं श्रीं फट् स्वाहा।।”
चन्द्र-ग्रहण या सूर्य-ग्रहण के समय किसी बारहों मास बहते वाली नदी के किनारे, कमर तक जल में पूर्व की ओर मुख करके खड़ा हो जाए । जब तक ग्रहण लगा रहे, श्री कामाक्षा देवी का ध्यान करते हुए उक्त मन्त्र (Shatru Mohan Kaamakhya Mantra) का पाठ करता रहे । ग्रहण मोक्ष होने पर सात डुबकियाँ लगाकर स्नान करे । आठवीं डुबकी लगाकर नदी के जल के भीतर की मिट्टी बाहर निकाले ।
उस मिट्टी को अपने पास सुरक्षित रखे. जब किसी शत्रु को सम्मोहित करना हो, तब स्नानादि करके उक्त मन्त्र को १०८ बार पढ़कर उसी मिट्टी का चन्दन ललाट पर लगाए और शत्रु के पास जाए । शत्रु इस प्रकार सम्मोहित हो जायेगा कि शत्रुता छोड़कर उसी दिन से उसका सच्चा मित्र बन जाएगा ।
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जय माँ कामाख्या