श्री पंचरत्न स्तोत्रम्

Shri Panchratna Stotram :

श्री पंचरत्न स्तोत्रम् (Shri Panchratna Stotram) समस्त पापों को नष्ट करके अनेक मनोरथ को सिद्ध करता है । इसे कन्यादान तथा देबी-देबताओं के यज्ञों से अधिक श्रेष्ठ माना गया है । भगबती त्रिपुरसुंदरी का जो भी साधक तीनों कालों में से मात्र एक ही काल में केबल एक बार भी श्री पंचरत्न स्तोत्रम् (Shri Panchratna Stotram) का श्रद्धा एबं भक्ति से पाठ करता है, उसे सहस्रों पुण्यों का फल प्राप्त होता है । यदि कोई ब्यक्ति प्रतिदिन पूजा के समय इसका नियमित पाठ करे तो उसके सभी रोगों, दुखों और कष्टों का निबारण सहज ही हो जाता है । उसे अनेक रहस्यों की उपलब्धि होती है । श्री पंचरत्न स्तोत्र (Shri Panchratna Stotram) इस प्रकार है-
आयी आनन्दबल्ली अमृत करतले आदिशक्ति: परायी।
मायी मायात्मरूपी स्फटिक मणिमयी मातंगी षडंगी।।
ज्ञानी ज्ञानात्मरूपी दलित परिमले नाद आकारमूर्तिभोगी।
योगासनस्था भुबन बशकरी सुन्दरी ऐं नमस्ते।।
मालामंत्री कटाक्षी मम हृदयसुखी मृत्युभाब प्रचण्डी।
ब्याला यज्ञोपबीता बिकट कटितटा बीरशक्ति: प्रसन्ना।।
बाला बालेन्दु मौलिर्मद गजगमना साक्षीका स्वस्तिमंत्री।
काली कंकालरूपी कटि कटि ह्रींकारिणी कलीं नमस्ते।।
मूलाधारा महात्मा हुतबह सलिला मूलमंत्रा त्रिनेत्रा।
हार केयूरबल्ली अखिल त्रिपदका अम्बिकायै प्रियायै।।
बेदा बेदांगनादा बिनतघनमुखी बीरतंत्री प्रचारी।
सारी संसारबासी सकल दुरितहा सर्बातो ह्रीं नमस्ते।।
ऐं क्लीं ह्रीं मंत्ररूपा सकल शशिधरा संप्रदाय प्रधाना।
क्लीं ह्रीं श्रीं बीजमुख्यें: हिमकर दिनकृत् ज्योतिरूपा।।
सों क्लीं ऐं शक्तिरूपा प्रणबहारिस्ते बिदुबादात्म कोटि।
क्षां क्षां क्ष्यूकारनादे सकल गुणमयी सुन्दरी ऐं नमस्ते।।
अध्यानाध्न्यानरूपा असुर भयकरी आत्मशक्तिरूपा।
प्रत्यक्षा पीठरूपी प्रलय युगधरा ब्रह्मा-बिष्णु त्रिरूपा।।
शुद्धत्मा सिद्धरूपा हिमकिरणनिभा स्तोत्र संक्षयोभ शक्ति:।
सृष्टिसिताष्ठात्रिमूर्ती त्रिपुर हरजयी सुन्दरी ऐं नमस्ते।।
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