सुजंघा अप्सरा साधना कैसे करें ?

Sujangha Apsara Sadhana Kaise Kare ?

सुजंघा अप्सरा साधना परिचय- अमराबती स्वर्गलोक के देबराज इन्द्र की राजधानी का ऐश्वर्य बहाँ की १६,१०८ अप्सराओं की कृपा का प्रसाद कहा जाता है । इन १६,१०८ में से १०८ अप्सराएं तो इन्द्र भगबान ने बेदों की १०८ ऋचाओं की साधना करके स्वयं प्रकट की थीं । इन १०८ की नायिका मेंनका और रम्भा आदि हैं । नर नारायण की तपस्या से डरकर इन्द्रदेब ने रम्भा, मेंनका आदि १६ प्रमुख अप्सराएं भेजीं। तब नर ने क्षुब्ध होकर अपनी दायीं जंघा पर हथेली मारकर उर्बशी आदि १६००० अप्सराएं उत्पन्न करके इन्द्र के पास भेज दीं ।

महत्व : इन अप्सराओं की समृद्धि समर्थ समझकर अनेकों ऋषियों और राजाओं ने इनकी साधनाएं की अथबा ब्राह्मणों से कराई । जिसके कारण इनमें कई अप्सराएं धरा पर इन साधकों के पास अतुल बैभब के साथ दीर्घकाल तक रहीं । इनमें राजा पुरूरूबा और बिश्वामित्र के अपाख्यान लोक प्रसिद्ध हैं ।

बिशेष : इन १६,१०८ अप्सराओं में से कुछ ही ऐसी हैं जो सहजता से सिद्ध हो जाती हैं और साधक के साथ यथेष्टरूप में निबास करती हुई समृद्धि प्रदान करती हैं । यहाँ केबल सुजंघा अप्सरा साधना का बर्णन किया जा रहा है । यह कला क्षेत्र में बिशेष प्रगति के लिए अत्यन्त लाभकारी साधनाएं होती हैं ।

Sujangha Apsara Sadhana Mantra :

साधना मंत्र : “ॐ बलप्रभथिनी सुजंघायै नम: ।।”

Sujangha Apsara Sadhana Anusthan :

बल प्रदान करने में अग्रणी यह देबी निश्चय ही अत्यन्त रूपबान है किंतु जल्दी से दर्शन नहीं देती । कृपा भले ही कितनी ही करे दे । यह जंघाओं का सौन्दर्य प्रदर्शित करने हेतु केबल कंचुकी और करधनी ही धारण करके रहती है । केपूर, नूपुर आदि षोडशो शृगार युक्ता देबी का अनुष्ठान पूर्णिमा से पूर्णिमा तक करे । दर्शन मिल सकते हैं, जप ११००० सामान्यत: संकल्पपूर्बक षोडषोपचार पूजन और रातभर घृत, दीप,गुगुल, धूप जले-सुलगे ।

Sujangha Apsara Sadhana Effects :

दर्शन देगी तो कृपा नहीं करती । दर्शन दिया करेगी, सम्बंध नहीं रखती, कृपा करेगी तो दर्शन नहीं देती ।

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